लोकसभा सचिवालय से मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 117 (3) के तहत महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी संशोधन विधेयक 2016 को लोकसभा में विचार के लिए रखे जाने को मंजूरी दे दी है।
उदित राज ने भाषा से बातचीत में कहा कि हम मनरेगा अधिनियम में संशोधन संबंधी निजी विधेयक पेश करने वाले हैं।
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि मनरेगा कानून 2005 की अनुसूची-। के पैरा 20 में यह प्रावधान किया है कि ग्राम पंचायतों की ओर से किए जाने वाले कार्यों के संदर्भ में कुशल एवं अकुशल श्रमिकों की मजदूरी समेत सामग्री संबंधी खर्च का अनुपात 40 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।
उदित राज के प्रस्तावित विधेयक में यह कहा गया है कि इस योजना के अमल में आने के बाद से यह देखा गया है कि सामग्री के संदर्भ में खर्च की सीमा के अनुपात को बनाये रखने में काफी कठिनाई पेश आती है और कई मामलों में यह बढ़कर 50 प्रतिशत से अधिक तक चला जाता है। सोशल आडिट में भी यह संकेत सामने आए हैं कि कानून के तहत तय सीमा के भीतर कार्य नहीं हो पा रहा है। मौजूदा 40 प्रतिशत की सीमा के भीतर बेहतर ग्रामीण सामाजिक ढांचे का निर्माण ग्राम पंचायतों या जिला स्तर पर नहीं हो सकता है। इसलिए इस निजी विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर आधारभूत ढांचे का सृजन सुनिश्चित करने के लिए सामग्री संबंधी खर्च के अनुपात को बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दिया जाए।
उल्लेखनीय है कि अभी मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्र में अच्छी गुणवत्ता वाली परिसंपत्तियों का निर्माण सुनिश्चित करने के लिए 60:40 का मजदूरी-सामग्री अनुपात रखा गया है।
एजेंसी