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लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पर चर्चा करते हुए स्मृति ईरानी: "आज जिन्होंने इसे जुमला कहा..."

निचले सदन में बुधवार को नारी शक्ति वंदन अधिनियम पर सत्तारूढ़ नेताओं और विपक्ष के बीच बहस जारी है।...
लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पर चर्चा करते हुए स्मृति ईरानी:

निचले सदन में बुधवार को नारी शक्ति वंदन अधिनियम पर सत्तारूढ़ नेताओं और विपक्ष के बीच बहस जारी है। राहुल गांधी भी लोकसभा में बहस में भाग ले सकते हैं। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने विधेयक को जुमला बताने वालों पर निशाना साधा। उन्होंने यह भी कहा कि यह बिल लागू होने के 15 साल बाद तक महिलाओं को आरक्षण की गारंटी देता है।

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आज लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर बहस में हस्तक्षेप करेंगे। राहुल गांधी ने सदन में प्रवेश करते हुए कहा, ''मैं संसद में बोलूंगा और इसीलिए यहां आया हूं।"

केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, "आज, जिन्होंने इसे जुमला कहा और कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने इसके लिए कई पत्र लिखे, कम से कम उन्होंने स्वीकार किया कि वे उनका (पीएम मोदी) अपमान करते रहे लेकिन उन्होंने उनके प्रत्येक संचार को पढ़ा। और उनके साथ इस पर चर्चा की।"

स्मृति ईरानी ने कहा, "हमने महिलाओं का सम्मान किया है। अब समय आ गया है कि आप आगे आएं, और अपने शब्दों को केवल कागजों तक सीमित न रखें, भाषण तक सीमित न रखें, बल्कि कार्रवाई के साथ बोलें और नारी शक्ति वंदन अधिनियम का समर्थन करें।"

उन्होंने कहा, "जब यह बिल लाया गया तो कुछ लोगों ने कहा कि यह 'हमारा बिल' है...प्रस्तावित बिल के एक लेख में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था कि 'तीसरे आम चुनाव में एससी/एसटी की महिलाओं के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं होगी। लेकिन इस सरकार द्वारा लाया गया बिल...यह बिल लागू होने के 15 साल बाद तक महिलाओं को आरक्षण की गारंटी देता है।"

वहीं, आम आदमी पार्टी ने बयान जारी कर कहा, "हम महिला आरक्षण विधेयक पर INDIA गठबंधन के फैसले के साथ खड़े रहेंगे। संसद में चर्चा के दौरान आप सांसद बिल की प्रकृति और उसके क्रियान्वयन पर सरकार से सवाल पूछेंगे। पार्टी इस बिल पर वोटिंग के वक्त इसका समर्थन करेगी।"

बता दें कि विधेयक को पहले केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सदन में पारित करने के लिए पेश किया था। यह विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया, जो नये संसद भवन में सदन की पहली बैठक थी।

विधेयक पर बहस की शुरुआत करने वाली सोनिया गांधी ने अपनी पार्टी का समर्थन बढ़ाया और इसके तत्काल कार्यान्वयन की मांग की। उन्होंने कहा कि बिल को लागू करने में देरी देश की महिलाओं के साथ अन्याय है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि विधेयक को 21 सितंबर को राज्यसभा में चर्चा के लिए रखा जाएगा।

वर्तमान में, लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों की कुल संख्या का एक तिहाई उन समूहों की महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाएगा। इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 वर्ष बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा। विदित हो कि 2010 में राज्यसभा ने उसे पारित किया था लेकिन बिल लोकसभा से पारित नहीं हो सका।

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