असम में सोमवार को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) का ड्राफ्ट जारी होने के बाद इस पर सियासी बवाल भी शुरू हो गया है। फाइनल ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों के बाहर होने को लेकर टीएमसी ने संसद में काफी हंगामा किया। टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने एनआरसी रिपोर्ट पर लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया। टीएमसी सांसद और कुछ अन्य विपक्षी पार्टी के नेताओं ने राज्यसभा में शोरगुल करना शुरू कर दिया।
इस बीच, असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि उनकी सरकार इस मामले में हमेशा सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि असम एक शांतिपूर्ण राज्य है और मुझे विश्वास है कि समाज का हर वर्ग आने वाले समय में शांति और सद्भाल के लिए आगे आएगा।
टीएमसी सांसदों ने इस सूची को लेकर कई सवाल उठाए, वहीं, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ लोग बेवजह डर का वातावरण बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से निष्पक्ष रिपोर्ट है और कोई भी गलत सूचना नहीं फैलानी चाहिए। राजनाथ ने कहा कि यह सिर्फ ड्राफ्ट है कोई अंतिम लिस्ट नहीं है। गृहमंत्री ने कहा कि जिनका नाम अंतिम लिस्ट में न हो वह विदेशी ट्रिब्यूनल में अपील कर सकते हैं। किसी के भी खिलाफ जबरन कार्रवाई नहीं की जाएगी, इसलिए किसी को डरने की जरूरत नहीं है।
‘इसके पीछे भाजपा का राजनीतिक मकसद’
असम कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा कि 40 लाख लोगों को अयोग्य करार देना एक बहुत ही बड़ा आंकड़ा है और बहुत ही आश्चर्यजनक है। रिपोर्ट में कई अनियमितताएं हैं। हम इस मुद्दे को सरकार और संसद में उठाएंगे। इसके पीछे भाजपा का राजनीतिक मकसद भी है।
प्रधानमंत्री सदन में इसे स्पष्ट करें: टीएमसी
टीएमसी के एसएस रॉय ने कहा कि केंद्र सरकार ने जानबूझकर एनआरसी से 40 लाख से अधिक धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को हटा दिया है, जो असम के आस-पास के विभिन्न राज्यों की जनसांख्यिकी पर गंभीर असर डालेगा। प्रधानमंत्री को सदन में आकर इसे स्पष्ट करना चाहिए।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    