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लोकसभा में पेश हुआ महिला आरक्षण बिल, ''नारी शक्ति वंदन अधिनियम'' रखा गया है नाम

सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान...
लोकसभा में पेश हुआ महिला आरक्षण बिल, ''नारी शक्ति वंदन अधिनियम'' रखा गया है नाम

सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने के लिए ऐतिहासिक महिला आरक्षण बिल को मंगलवार को लोकसभा की कार्यवाही के गदौरान पेश किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने महिला आरक्षण को 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' नाम दिया है।

संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 को विधायी कार्यों की अनुपूरक सूची के माध्यम से निचले सदन में पेश किया गया। नये संसद भवन में पेश होने वाला यह पहला विधेयक है।

लोकसभा में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश किया। उन्होंने बिल को पेश करते हुए कहा कि यह बिल महिला सशक्तिकरण के संबंध में है। इसके माध्यम से  संविधान के अनुच्छेद 239AA में संशोधन करके राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) दिल्ली में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित की जाएंगी। अनुच्छेद 330A लोक सभा में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण है।

 

अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित होने के बाद लोकसभा में महिलाओं के लिए सीटों की संख्या 181 हो जाएगी

 

सदन में विधेयक को पारित करने के लिए चर्चा कल, 20 सितंबर को की जाएगी। सरकारी सूत्रों ने कहा कि विधेयक को 21 सितंबर को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।

 

यह नए संसद भवन में निचले सदन द्वारा उठाया गया दिन का पहला एजेंडा था। संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र सोमवार को शुरू हुआ। गौरतलब है कि महिला आरक्षण विधेयक 2010 में राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था और इसे लोकसभा में नहीं लाया गया। यह संसद के निचले सदन में समाप्त हो गया।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि महिला आरक्षण बिल पर काफी चर्चा हुई हैं, बहुत वाद-विवाद भी हुए हैं। अटल बिहारी वाजपेई के शासनकाल में कई बार महिला आरक्षण बिल पेश किया गया लेकिन बिल को पारित कराने के लिए पर्याप्त बहुमत नहीं था और इस कारण यह सपना अधूरा रह गया। ईश्वर ने शायद ऐसे कई कामों के लिए मुझे चुना है। कल ही कैबिनेट में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दी गई है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं..हमारी सरकार आज दोनों सदनों में महिलाओं की भागीदारी पर एक नया बिल ला रही है।

 

सरकार ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक का उद्देश्य राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नीति-निर्माण में महिलाओं की अधिक भागीदारी को सक्षम बनाना है।

विधेयक के उद्देश्य में कहा गया है कि 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में महिलाओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।

इसमें कहा गया है कि परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद आरक्षण लागू होगा और 15 वर्षों तक जारी रहेगा। विधेयक के अनुसार, प्रत्येक परिसीमन प्रक्रिया के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की अदला बदली होगी।

सरकार का कहना है कि महिलाएं अलग-अलग दृष्टिकोण लाती हैं और विधायी बहस तथा निर्णय लेने की गुणवत्ता को समृद्ध बनाती हैं।

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