विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक पर मुस्लिम संगठनों के विचार सुनने के लिए संसद की संयुक्त समिति की शुक्रवार को दूसरी बार बैठक हुई। इस विधेयक का उद्देश्य एक केंद्रीकृत पोर्टल के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की प्रक्रिया में सुधार करना है।
दिनभर चलने वाली इस बैठक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति मुंबई स्थित ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा और दिल्ली स्थित इंडियन मुस्लिम्स फॉर सिविल राइट्स (आईएमसीआर) सहित अन्य हितधारकों के विचार सुनेगी।
यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की प्रक्रिया में सुधार के उद्देश्य से भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की पहली बड़ी पहल है।
विधेयक का एक विवादास्पद प्रावधान, जिलाधिकारी को यह निर्धारित करने के लिए प्राथमिक प्राधिकरण के रूप में नामित करने का प्रस्ताव है कि क्या संपत्ति को वक्फ या सरकारी भूमि के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
विधेयक को गत आठ अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था और चर्चा के बाद संसद की एक संयुक्त समिति को भेजा गया था। सरकार ने इस बात पर जोर दिया था कि प्रस्तावित कानून मस्जिदों के कामकाज में हस्तक्षेप करने का इरादा नहीं रखता है जबकि विपक्ष ने इसे मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए उठाया गया कदम और संविधान पर हमला बताया था।
इस महीने की शुरुआत में समिति की पहली बैठक हुई थी। इसमें कई विपक्षी सांसदों ने इस प्रस्तावित कानून के कई प्रावधानों को लेकर आपत्ति जताई।
समिति की इस पहली बैठक के दौरान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की ओर से एक प्रस्तुति भी दी गई थी।
सूत्रों के मुताबिक भाजपा के सांसदों ने विधेयक में संशोधनों-खासकर महिलाओं को सशक्त बनाने संबंधी प्रावधान की सराहना की।
बैठक के दौरान कई बार तीखी बहस हुई लेकिन विभिन्न दलों के सदस्यों ने कई घंटे तक बैठकर विधेयक के प्रावधानों पर अपने विचार दर्ज कराए, सुझाव दिए और स्पष्टीकरण मांगा।
बाद में पत्रकारों के साथ संक्षिप्त बातचीत में समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बैठक को ‘सार्थक’ बताया था।
यह बैठक भोजनावकाश के साथ छह घंटे से अधिक समय तक चली थी।
समिति के एक सदस्य ने दावा किया कि यह हाल के दिनों में किसी संसदीय समिति द्वारा आयोजित सबसे लंबी बैठकों में से एक थी।