राजस्थान में विधानसभा की सात सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान बुधवार को होगा. इन उपचुनाव के परिणाम से राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की स्थिरता पर भले ही कोई असर नहीं हो फिर भी परिणामों पर सबकी निगाह रहेगी क्योंकि कई सीट इस बार त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी हैं. राज्य की झुंझुनू, दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर, चौरासी, सलूंबर और रामगढ़ विधानसभा सीट पर मतदान बुधवार सुबह सात बजे शुरू होकर शाम छह बजे तक जारी रहेगा. मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी.
राज्य विधानसभा में संख्या बल को देखते हुए इन उपचुनाव के परिणामों से मौजूदा भाजपा सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हालांकि, इन उपचुनाव को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के लिए बड़ी परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है. वह भी ऐसे समय में जबकि लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बहुत निराशाजनक रहा. लोकसभा चुनाव में भाजपा को राज्य की 25 में से 11 सीट पर हार का सामना करना पड़ा था.
इसके साथ ही इन उपचुनाव में कांग्रेस के साथ-साथ हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) और राजकुमार रोत की भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) को भी अपने-अपने राजनीतिक गढ़ों को बचाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. राज्य में विधानसभा की जिन सात सीटों पर उपचुनाव हो रहा है उनमें चार पर पहले कांग्रेस का कब्जा था जबकि एक-एक सीट भाजपा, भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के पास थी.
खींवसर सीट पर भाजपा के रेवंतराम डांगा, कांग्रेस की रतन चौधरी और आरएलपी की कनिका बेनीवाल के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. कनिका, सांसद हनुमान बेनीवाल की पत्नी हैं. भाजपा ने रेवंत राम डांगा पर भरोसा जताया है जिन्होंने पिछले साल इस सीट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन हनुमान बेनीवाल से 2059 मतों से हार गए थे. बेनीवाल के बाद में सांसद चुने जाने पर यह सीट खाली हो गई. भाजपा ने एक बार फिर डांगा को टिकट दिया है.
डांगा कभी बेनीवाल के करीबी सहयोगी थे लेकिन बाद में कथित तौर पर उपेक्षित होने के बाद अलग हो गए और भाजपा का दामन थाम लिया. जाट बहुल इस सीट पर तीनों पार्टियों के नेता जोर-शोर से चुनाव प्रचार कर रहे हैं. राज्य की एक और जाट बहुल सीट झुंझुनू पर भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र भांभू और कांग्रेस के अमित ओला के बीच सीधा मुकाबला माना जा है. अमित इस साल लोकसभा चुनाव जीतने वाले बृजेंद्र ओला के बेटे हैं.
अमित के दादा कांग्रेस के दिग्गज जाट नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला थे. अमित इस उपचुनाव के जरिए ओला परिवार की राजनीतिक विरासत को बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं. पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र सिंह गुढ़ा भी इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उपचुनाव लड़ रहे हैं. आदिवासी बहुल चौरासी सीट पर भाजपा और बीएपी उम्मीदवारों के बीच कड़ी टक्कर मानी जा रही है. यह सीट विधायक राजकुमार रोत के सांसद चुने जाने के कारण खाली हुई थी. देवली-उनियारा और दौसा सीट पर भी भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला माना जा रहा है. हालांकि कांग्रेस के बागी नरेश मीणा ने देवली-उनियारा में मुख्य विपक्षी पार्टी के सामने चुनौती खड़ी कर दी है.