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योगेंद्र यादव पीएसी से हटाए गए

आम आदमी पार्टी का संकट सुलझाने केलिए आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में फैसला किया गया कि योगेंद्र यादव को राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी ) से हटा दिया जाए। कुछ दिनों से आम आदमी पार्टी में चल रहा घमासान और बड़े नेताओं की आपसी खींचतान बुधवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से ठीक पहले नरम पड़ती दिखाई दी। दरअसल दोनों ही खेमों के बीच सुलह के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।
योगेंद्र यादव पीएसी से हटाए गए

विवाद के केंद्र में आए वरिष्ठ नेताओं योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण में से यादव ने कुछ नरम रुख दर्शाते हुए पार्टी के शीर्ष लोगों से कहा है कि अरविंद केजरीवाल के राष्ट्रीय संयोजक पद बने रहने का सवाल कभी मुद्दा नहीं रहा जबकि भूषण ने कहा कि वह मूल्यों पर अडिग हैं। कल पार्टी में चल रही गंदी लड़ाई से खुद को आहत और दुखी बताने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल बुधवार की बैठक में मौजूद नहीं होंगे। भूषण और यादव इस बैठक में शिरकत करेंगे।

यादव और भूषण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करने वाली आप की दिल्ली इकाई के एक महत्वपूर्ण सदस्य आशीष खेतान राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से ठीक पहले अपना रुख नरम करते नजर आए। मंगलवार को खेतान ने इन दोनों पर ट्वीट के माध्यम से निशाना साधा था। बुधवार को खेतान ने ट्वीट में कहा, मुझे भूषण के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी। हमने जनता से जुड़े कई मुद्दों पर एकसाथ मिलकर लड़ाई लड़ी है और उम्मीद है कि हम एक टीम के रूप में काम करना जारी रखेंगे। मैंने अपने ट्वीट हटा दिए हैं। मैं हर अंतिम वॉलेंटियर के लिए जवाबदेह हूं और हमेशा पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करूंगा।

मौजूदा संकट के चलते पार्टी के भीतर ही तीन हिस्से हो गए हैं। इनमें पहले हिस्से में वे नेता हैं, जो केजरीवाल के पीछे दृढ़ता से खड़े हैं, दूसरे पक्ष में यादव और भूषण हैं और तीसरे पक्ष के पास ज्यादा कुछ कहने का अवसर नहीं है। इस पक्ष में वे नेता हैं, जो किसी का पक्ष नहीं लेना चाहते और समझौते के पक्ष में हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और राष्टीय कार्यकारिणी के सदस्य ने बैठक में शिरकत करने से पहले कहा,  यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि इन दोनों ने पूर्व में पार्टी के लिए क्या किया है। उनकी उपलब्धियों को देखते हुए, यह मानना मुश्किल है कि ये पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे। एक अन्य सदस्य ने कहा, फिर भी, यदि समिति को कोई पक्का साक्ष्य मिलता है तो उसे इन दोनों को कारण बताओ नोटिस जारी करके एक मौका देना चाहिए।

वहीं दूसरी ओर केजरीवाल खेमे के एक नेता ने कहा, सब कुछ बिल्कुल साफ है और अब समय की मांग है कि इन दोनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और भविष्य के लिए एक उदाहरण पेश किया जाए। इस नेता ने कहा,  जिस नेता में राज्य के दो करोड़ लोगों ने गहरा विश्वास जताया है, उसकी छवि को जानबूझकर धूमिल करने का प्रयास अनुचित है। उन्होंने कहा कि यादव और भूषण को न सिर्फ राजनीतिक कार्य समिति से निकाल दिया जाना चाहिए बल्कि उन्हें आप की प्रारंभिक सदस्यता से भी हटा दिया जाना चाहिए। फिलहाल आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति में लगभग 21 सदस्य हैं। केजरीवाल और कुछ अन्य लोगों के अलावा सभी लोगों के बैठक में मौजूद रहने की संभावना है।

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