आप की ओर से आशुतोष, संजय सिंह और राघव चड्ढा मंगलवार को मीडिया के सामने आए और अपनी भड़ास निकाली। इन नेताओं ने कहा कि राष्ट्रपति कैबिनेट की सलाह से बंधा होता है इसलिए अगर प्रणब मुखर्जी ने दस्तखत से इनकार किया है तो इसका मतलब है कि केंद्र सरकार ने उनसे ऐसी सिफारिश की है। यानी इस मामले में सीधे मोदी दोषी है। इन नेताओं ने यह भी कहा कि पूरे देश में विधायकों को संसदीय सचिव बनाना वैध तो यह दिल्ली में अवैध कैसे हो गया?
इन नेताओं ने बाकायदा आंकड़े दिए कि पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान जैसे भाजपा शासित राज्यों में भी संसदीय सचिव नियुक्त किए गए हैं और इन्हें बाकायदा वेतन तथा अन्य भत्ते और सुविधाएं दी जाती हैं। अगर ये सभी लाभ के पद नहीं हैं तो दिल्ली का मसला लाभ के पद के दायरे में कैसे है?
हालांकि आप के नेताओं से जब पूछा गया कि यदि दिल्ली सरकार यह मानती है कि ये विधायक लाभ के पद के दायरे में नहीं आते हैं तो उसे इससे संबंधित विधेयक लाने की जरूरत क्यों पड़ी तो इन नेताओं ने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि सिर्फ केंद्र सरकार और नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते रहे।