दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को आम आदमी पार्टी (आप) की याचिका पर नोटिस जारी किया है। आप ने अपनी पार्टी के नाम से मिलती जुलती नई पार्टी के गठन के बाद यह आपत्ति जताई है तथा पार्टी की मान्यता रद्द करने की मांग की है। मामले में अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी।
चुनाव आयोग ने हाल ही में 'आपकी अपनी पार्टी' को मान्यता दी है। इसके बाद से ही आम आदमी पार्टी ने इसके नाम पर आपत्ति जतायी है। आम आदमी पार्टी की दलील है कि उसकी पार्टी के नाम के जैसे मिलते-जुलते नाम पर यह नाम रखा गया है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल ने आम आदमी पार्टी की याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है।
जनता को होगा भ्रम
एडवोकेट अनुपम श्रीवास्तव ने याचिका में कहा है कि नई पार्टी का नाम मिलता जुलता है जिससे जनता को वोट डालते समय भ्रम पैदा हो सकता है क्योंकि दोनों का संक्षिप्त नाम ‘आप’ ही होगा। उन्होंने कहा है कि चुनाव आयोग के 16 जुलाई के आदेश को निरस्त किया जाए जिसमें आपकी अपनी पार्टी को जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत राजनैतिक पार्टी की मान्यता दी गई है।
जंतर मंतर पर हुई थी आप के गठन की घोषणा
आम आदमी पार्टी (आप) सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन से जुड़े बहुत से सहयोगियों द्वारा गठित एक राजनीतिक पार्टी है। इसके गठन की आधिकारिक घोषणा 26 नवम्बर 2012 को जंतर मंतर दिल्ली में की गयी थी। अन्ना भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आंदोलन को राजनीति से अलग रखना चाहते थे जबकि अरविन्द केजरीवाल और उनके सहयोगियों की यह राय थी कि पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा जाये। इसी मकसद से पहली बार दिसम्बर 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में झाड़ू चुनाव चिन्ह के साथ आप चुनावी मैदान में उतरी और 28 सीटें जीतकर कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनायी। 49 दिन में 14 फरवरी 2014 को जन लोकपाल विधेयक पेश करने के प्रस्ताव पर समर्थन न मिलने पर केजरीवाल की सरकार ने इस्तीफा दे दिया। दूसरी बार फिर चुनाव में प्रचंड बहुमत से दिल्ली की सरकार बनाई।