इतनी बड़ी रकम दिल्ली के करोलबाग स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में 10 नवंबर से नौ दिसंबर के बीच जमा कराई गई है। इसके बारे में प्रवर्तन निदेशालय ने आयकर विभाग से संपर्क किया है और अब आयकर अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू कर दी है। गौरतलब है कि बसपा प्रमुख मायावती नोटबंदी का जबरदस्त विरोध कर रही हैं और इसे आर्थिक आपातकाल बता चुकी हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, बसपा के खाते में जमा इस रकम के बारे में प्रवर्तन निदेशालय की ऑडिट के दौरान पता चला। नोटबंदी के बाद ईडी पूरे देश में 50 बैंक शाखाओं की ऑडिट करा रहा है, जिनमें सबसे अधिक पुराने नोट जमा किए गए थे। इनमें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की करोलबाग शाखा भी शामिल है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की इसी शाखा में मायावती के भाई आनंद कुमार का भी खाता है। आनंद कुमार के खाते में भी नोटबंदी के बाद 1.43 करोड़ रुपये जमा कराए गए थे। इनमें 18.98 लाख रुपये नकद जमा कराए गए थे। शेष रकम आरटीजीएस के माध्यम से दूसरी कंपनियों से इस खाते में आए। अब आयकर विभाग यह पता लगा रहा है कि आरटीजीएस करने वाली कंपनियों के पास धन कहां से आया था और किस काम के लिए दिया गया था। आशंका है कि इन कंपनियों के मार्फत पुराने नोट के रूप में जमा काले धन को सफेद तो नहीं किया गया। आनंद कुमार की कई कंपनियां पहले से ही एजेंसियों के रडार पर हैं। इन कंपनियों में हजारों करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है। इसके पहले आनंद कुमार 400 करोड़ रुपये की एफडी को लेकर आयकर विभाग की जांच के घेरे में थे। सूत्रों के अनुसार, बसपा के इस खाते में इस साल जनवरी से जुलाई के बीच कोई रकम नहीं जमा कराई गई थी। अगस्त में 21 करोड़ रुपये और सितंबर में केवल 12 करोड़ रुपये जमा कराए गए थे। अक्टूबर में भी इस खाते में कुछ नहीं जमा किया गया था। इसके बाद 10 नवंबर, 02 दिसंबर, 03 दिसंबर, 5 दिसंबर, 06 दिसंबर, 07 दिसंबर, 08 दिसंबर और 09 दिसंबर को मोटी रकमें जमा कराई गई। नियमों के मुताबिक राजनीतिक दलों को 20 हजार रुपये से अधिक चंदा मिलने पर आयकर विभाग को जानकारी देनी होती है। एक बैंक खाते में इतनी बड़ी मात्र में नकदी जमा कराए जाने का पता चलने के बाद बसपा के दूसरे बैंक खाते भी जांच के दायरे में आ गए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आयकर विभाग को इन सभी खातों की पड़ताल करने को कह दिया गया है।
खास बात यह है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यूपी चुनाव में बसपा पर हमला बोलने का बड़ा मौका मिल गया है। प्रधानमंत्री पहले भी अपने संबोधनों में कहते रहे हैं कि वही लोग नोटबंदी का विरोध कर रहे हैं जो खुद काला धन रखते हैं। इसके बाद मोदी को ज्यादा प्रामाणिकता से आरोप लगाने का मौका मिलेगा। इसका असर यूपी चुनाव में भी देखने को मिल सकता है।