शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने सोमवार को दावा किया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजित पवार जल्द ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की जगह लेंगे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में रविवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जबकि पार्टी के आठ अन्य नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली थी।
शिवसेना (यूबीटी) ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने केवल महाराष्ट्र की नहीं बल्कि देश की राजनीति को ‘‘कुचला’’ है।
‘सामना’ में कहा गया, ‘‘अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने का रिकॉर्ड बनाया है। इस बार यह ‘सौदा’ बड़ा है।’’
शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र में दावा किया गया, ‘‘पवार वहां उपमुख्यमंत्री पद के लिए नहीं गए हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तथा शिवसेना के विद्रोही विधायकों को जल्द अयोग्य करार दिया जाएगा और पवार की ताजपोशी की जाएगी।’’
‘सामना’ के अनुसार, यह जो भी हुआ है राज्य के लोगों को पसंद नहीं आएगा। इसमें कहा गया कि राज्य में ऐसी कोई राजनीतिक परंपरा नहीं है और लोग इसका समर्थन कभी नहीं करेंगे। मराठी दैनिक पत्र में दावा किया गया अजित पवार का यह कदम असल में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के लिए खतरनाक है।
दैनिक पत्र में कहा गया, जब शिंदे और अन्य विधायकों ने (पिछले साल) शिवसेना छोड़ी थी तो उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री अजित पवार को उनकी सीमाओं में नहीं रखने के लिए पार्टी अध्यक्ष एवं (तत्कालीन) मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को दोषी ठहराया था। पवार ने तब कोष वितरण और कार्य आदेशों को मंजूरी देने के कार्य को अपने अत्यधिक नियंत्रण में रखा था।
संपादकीय में कहा गया, ‘‘ बागी विधायकों ने जो पहला कारण बताया वह यह था कि ‘‘हमने राकांपा की वजह से शिवसेना छोड़ी।’’
‘सामना’ में कहा गया, ‘‘ अब वह क्या करेंगे? शपथ ग्रहण समारोह (रविवार को अजित पवार के) के दौरान, उनके (शिंदे गुट के सदस्यों के) चेहरे के भावों से यह स्पष्ट हो गया था कि उनका भविष्य अंधकारमय है।’’
मराठी दैनिक पत्र में कहा गया, ‘‘ उनका तथाकथित हिंदुत्व अब खत्म हो चुका है। वह दिन दूर नहीं जब शिंदे और उनके बागी साथी अयोग्य करार दिए जाएंगे, यही है रविवार के घटनाक्रम का असली मतलब।’’ संपादकीय में कहा गया, ‘‘ शपथ समारोह ने भाजपा का असली चेहरा उजागर कर दिया है।’’