दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से कुछ माह पहले आगामी शीतकालीन संसद सत्र बिजली कानून में संशोधन लेकर आ रही है जो बेहद खतरनाक है। उनका आरोप है कि यह कानून बड़ी-बड़ी कुछ चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर यह कानून पास हो गया तो दिल्ली में बिजली की कीमत दोगुने से पांच गुना तक बढ़ जाएगी। इस कानून को रोकने के लिए वह गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों से समर्थन मांगेंगे और राज्यसभा में इस बिल को पास होने से रोकेंगे।
एक प्रेस कांफ्रेस में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केजरीवाल ने कहा कि शीतकालीन सत्र में बिल लाने का मतलब साफ है। मोदी जी को हार का डर है इसलिए अपने दोस्तों को फायदा पहुंचाने में लगे हैं।इस बारे में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री से मिलूंगा और उन्हें लिखूंगा ताकि किसी भी कीमत पर यह संशोधित कानून पास न हो पाए। उन्होंने कहा कि संशोधित कानून के बाद दिल्ली का सब्सिडी बिल 18सौ करोड़ से बढ़कर सालाना दस हजार हज़ार करोड़ हो जाएगा। यानी सीधे तौर पर यह सब अनिल अंबानी और अडानी की कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।
स्लैब और केटेगरी हो जाएगी खत्म
उन्होंने कहा कि इस संशोधित कानून के बाद राज्य सरकार की सारी पावर बिजली पर खत्म हो जाएगी। इसके राजनीतिक मायने भी हैं। इस बिल में लिखा है क्रॉस सब्सिडी खत्म कर देंगे। डोमेस्टिक कैटेगरी में कम रेट होते हैं, इंडस्ट्रियल और कॉमर्शियल में ज्यादा लेकिन इस बिल में सब बराबर हो जाएंगे। कोई स्लैब नहीं रहेगा और बिजली का एक रेट हो जाएगा। अगर यह बदलाव हो गए तो देश में बिजली इतनी महंगी हो जाएगी कि आम आदमी और देश के किसानों के लिए जीना मुश्किल हो जाएगा।
सात रुपये प्रति यूनिट हो जाएगी बिजली
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली का उदाहरण लें तो यहां दिल्ली में बिजली की लागत औसतन 7.40 रुपये है। 200 से नीचे 1 रुपये है अभी, जबकि 200-400 पर 2.5 रुपये है, लेकिन अब सबकी बिजली रेट 7.40 प्रति यूनिट हो जाएगी। अगर इस कानून में हम सब्सिडी भी रखें तो भी बिजली महंगी हो जाएगी। संशोधित कानून में सट्टा बाजार भी प्रभावी हो जाएगा। अगर इसमें सट्टा बाजार हावी हुआ तो 10 रुपये यूनिट बिजली हो जाएगी। किसानों का बुरा हाल हो जाएगा।
राज्य सरकारों का नहीं रहेगा हस्तक्षेप
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया अभी राज्य स्तर की रेगुलेशन कमेटी बिजली के दामों को तय करती है। इस कमेटी में तीन सदस्य होते हैं जिनमें से दो सदस्य राज्य सरकार नियुक्त करती है। इसकी वजह से राज्य सरकार का दखल रहता है लेकिन अब इसका गठन केंद्र सरकार करेगी। इसमें कुल 6 सदस्य होंगे जिनमें से 4 सदस्य केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाएंगे। राज्य सरकार का केवल एक सदस्य इस कमेटी में होगा। ऐसे में कीमत वही तय की जाएगी जो केंद्र सरकार चाहेगी। इससे लोगों के लिए बिजली इस्तेमाल करना मुश्किल हो जाएगा यानी केंद्र सरकार हर साल टैरिफ तय करेगी। इस कानून में लिखा है बिजली की सारी लागत जनता भरेगी। जनरेशन, डिस्ट्रीब्यूशन, स्पेकुलेशन आदि सबकी कीमत जनता चुकायेगी।
पुलिस कर सकेगी गिरफ्तार
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों, डोमेस्टिक का रेट कम होता है और रेट बराबर होने से इनका बहुत बुरा हाल हो जाएगा। कानून में लिखा है कि अगर राज्य सरकार चाहे तो डीबीटी के सीधा सब्सिडी दे सकती है। क्रॉस सब्सिडी खत्म करने बोझ राज्य सरकारें नहीं उठा पाएगी। अब बिजली कंपनी को पूरे देश मे केवल केंद्र को सरकार खुश करना है यानी सब काम हो जाएगा और अब जरा सी गलती भी पुलिस भी गिरफ़्तार कर सकेगी।