राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के महत्वपूर्ण घटक दल जनता दल (युनाइटेड) ने केंद्र में सरकार गठन को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से की जा रही कवायदों के बीच सेना में भर्ती की ‘अग्निपथ’ योजना की समीक्षा किए जाने की मांग उठाई है।
जद (यू) के वरिष्ठ नेता के सी त्यागी ने संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा, ‘‘अग्निपथ योजना को लेकर मतदाताओं के एक हिस्से में नाराजगी रही है। हमारी पार्टी चाहती है कि विस्तार से उन कमियों और खामियों को दूर किया जाए जिसको लेकर जनता ने सवाल उठाए हैं।’’
केंद्र सरकार ने साल 2022 में 14 जून को सेना में जवानों की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की घोषणा की थी। कांग्रेस और कई विपक्षी दलों ने इस योजना का विरोध किया था। कुछ राज्यों में इसके विरोध में प्रदर्शन भी हुए थे।
कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में अग्निपथ योजना को बड़ा मुद्दा बनाया था और कहा कि यदि वह सत्ता में आते हैं तो इसे रद्द कर देंगे। विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद भाजपा और उसके नेता इस योजना का बचाव करते रहे हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा चुनाव के दौरान ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि युवाओं के लिए ‘अग्निपथ’ से अधिक आकर्षक कोई योजना हो ही नहीं सकती, क्योंकि यह चार साल के बाद सेवानिवृत्त होने वाले ‘अग्निवीरों’ के लिए सशस्त्र बलों में पूर्णकालिक सरकारी नौकरी की गारंटी देती है।
शाह ने कहा था कि उन्हें कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तरस आता है, जिन्होंने ‘इंडिया’ गठबंधन के सत्ता में आने पर इस अल्पकालिक भर्ती योजना को खत्म करने का वादा किया है।
शाह ने दावा किया कि चार साल के कार्यकाल के बाद सेवानिवृत्त होने वालों के लिए नौकरी के अवसर उनकी संख्या से साढ़े सात गुना अधिक होंगे, क्योंकि उनके लिए विभिन्न राज्य पुलिस बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश के राजनीतिक सलाहकार और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता त्यागी ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के खिलाफ नहीं है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में सत्ता में आने पर यूसीसी लागू करने का वादा किया है।
त्यागी ने कहा, ‘‘यूसीसी पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते मुख्यमंत्री (नीतीश कुमार) विधि आयोग के अध्यक्ष को चिट्ठी लिख चुके हैं। हम इसके विरुद्ध नहीं हैं। लेकिन जितने भी हितधारक हैं, चाहे मुख्यमंत्री हों, विभिन्न राजनीतिक दल हों या समुदाय हों, सबसे बात करके ही इसका हल निकाला जाना चाहिए।
जाति आधारित जनगणना के सवाल पर जद(यू) नेता ने कहा कि देश में किसी भी पार्टी ने इसके विरोध में नहीं कहा है। उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में बिहार ने रास्ता दिखाया है। प्रधानमंत्री ने भी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में इसका विरोध नहीं किया। जाति आधारित जनगणना समय की मांग है। हम इसे आगे बढ़ाएंगे।’’
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जद (यू) ने राजग को बिना शर्त समर्थन दिया है लेकिन बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग ‘हमारे दिल’ में है।
जद (यू) के वरिष्ठ नेता का ये बयान बुधवार को राजग की बैठक के एक दिन बाद आया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस बैठक में सर्वसम्मति से राजग का नेता चुना गया था।
राजग ने लोकसभा चुनाव में 293 सीटें जीती हैं जो 543 सदस्यीय सदन में बहुमत के 272 के आंकड़े से अधिक हैं। इससे मोदी के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
संख्या के लिहाज से चंद्रबाबू नायडू नीत तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के बाद जद (यू) राजग का तीसरा सबसे बड़ा घटक है। तेदेपा ने इस चुनाव में 16 जबकि जबकि जद (यू) ने 12 सीटों पर जीत दर्ज की है।