साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के भोपाल से लोकसभा उम्मीदवार बनते ही राजनीतिक सरगर्मियां अचानक बढ़ गई हैं। हेमंत करकरे पर उनके विवादास्पद बयान के बाद शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने शनिवार को उनके पक्ष में एक नया आरोप लगाकर मामले को फिर गरमा दिया है।
यूपीए के दबाव में कार्रवाई
शिवसेना के प्रवक्ता संयज राउत ने आरोप लगाया कि हेमंत करकरे के नेतृत्व वाले एंटी टेरर स्क्वॉड (एटीएस) ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ मालेगांव विस्फोट मामले में यूपीए सरकार के दबाव में कार्रवाई की। ठाकुर हो हाल ही में भोपाल लोकसभा क्षेत्र से भाजपा का उम्मीदवार बनाया गया है। वे कांग्रेस के दिग्विजय के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। राउत ने कहा, "तब कांग्रेस तब सत्ता में थी और सभी जानते हैं कि एटीएस दबाव में थी।"
ठाकुर के बचाव में शिवसेना
शिवसेना प्रज्ञा ठाकुर के बचाव में उतर आई है। प्रज्ञा का बचाव करते हुए राउत ने कहा, ‘लोगों को उनके दर्द को महसूस करना चाहिए। हमें साध्वी की भावनाओं और उसके दर्द को समझना चाहिए।’ हिंदू आतंक’ शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए, शिवसेना नेता ने कहा कि ठाकुर के खिलाफ कार्रवाई अनुचित थी। ‘जिस तरह से महिला को प्रताड़ित और परेशान किया गया, वह किसी नियम-कानून में फिट नहीं बैठता। तब आपने (कांग्रेस नेताओं ने) हिंदू आतंक जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था।’ राउत ने कहा, आतंकवाद का कोई धर्म नहीं है और आतंकवाद को किसी भी धर्म से जोड़ना भी अनुचित था। हमने कभी भी आतंकवाद को किसी भी धर्म से जोड़ने का समर्थन नहीं किया।
प्रज्ञा ने दिया था विवादास्पद बयान
कल यानी शुक्रवार को ठाकुर ने कहा था कि करकरे ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले में अपनी जान गंवा दी क्योंकि उन्होंने करकरे को श्राप दिया था। प्रज्ञा ने कहा, ‘मैंने हेमंत करकरे को फोन किया और उनसे पूछा कि अगर कोई सबूत नहीं है तो मुझे जाने दिया जाए। तब करकरे ने कहा कि वह सबूत लाएंगे, लेकिन मुझे नहीं छोड़ेंगे। मैंने उनसे कहा था आप बर्बाद हो जाएंगे।’
मालेगांव विस्फोट में हैं आरोपी
प्रज्ञा मालेगांव विस्फोट मामले में मुकदमे का सामना करने वाले सात आरोपियों में शामिल हैं। 29 सितंबर, 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मोटरसाइकिल पर रखे बम में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई थी और एक दर्जन अन्य घायल हो गए थे। उन्हें 2008 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन सबूतों के अभाव में 2016 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने उसे छोड़ दिया था। हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने उन्हें यह कहकर छोड़ दिया था कि ब्लास्ट में उनकी मोटरसाइकिल का इस्तेमाल हुआ होगा इस पर विश्वास करना मुश्किल है।