Advertisement

ममता का मास्टर स्ट्रोक- आलापन बंद्योपाध्याय को बनाया अपना मुख्य सलाहकार, अब क्या करेगी मोदी सरकार

ममता सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच विवाद में फंसे पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव आलापन बनर्जी...
ममता का मास्टर स्ट्रोक- आलापन बंद्योपाध्याय को बनाया अपना मुख्य सलाहकार, अब क्या करेगी मोदी सरकार

ममता सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच विवाद में फंसे पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव आलापन बनर्जी सोमवार को रिटायर हो गए। लेकिन इसी के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें 3 साल के लिए अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त कर दिया है। मुख्यमंत्री ने स्वयं इसकी घोषणा करते हुए कहा कि आलापन कोविड-19 महामारी से निपटने में राज्य सरकार की मदद करेंगे। हरिकृष्ण द्विवेदी को राज्य का नया मुख्य सचिव बनाया गया है।

‘क्या मैं बिना केंद्र से चर्चा के बंगाल कैडर के अधिकारियों को बुला सकती हूं’

ममता ने कहा कि आलापन ने आज ही अवकाश ग्रहण किया, लेकिन हमें प्रदेश के लिए उनकी जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिस अधिकारी ने अपना पूरा कार्यकाल सरकार की सेवा में लगाया है उसे अपमानित कर प्रधानमंत्री क्या संदेश देना चाहते हैं। क्या ये अधिकारी बंधुआ मजदूर हैं? पश्चिम बंगाल कैडर के अनेक अधिकारी केंद्र में हैं। क्या मैं बिना केंद्र से चर्चा किए उन्हें वापस बुला सकती हूं? मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार, राज्य से चर्चा किए बिना किसी भी अधिकारी को नहीं बुला सकती है।

ममता ने कहा, भाजपा का रवैया हिटलर और स्टालिन जैसा

ममता ने कहा, “भाजपा के शासनकाल में अधिकारीगण असहाय हैं। उन्हें जो कहा जाएगा वही करने को बाध्य नहीं हैं। बहुत हुआ। मैं उनके साथ खड़ी हूं। यह अधिकारियों का अपमान है। वे लोग सिर्फ भाषण दे रहे हैं और अधिकारी लोगों के लिए राशन का इंतजाम कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “देश के सभी गैर भाजपा मुख्यमंत्रियों को एकजुट होना चाहिए। केंद्र सरकार कोविड महामारी और अर्थव्यवस्था दोनों को संभालने में बुरी तरह नाकाम रही है। पार्टी के नेता स्वेच्छाचारी की तरह बर्ताव कर रहे हैं। उनका रवैया हिटलर और स्टालिन जैसा है।”

'यह सब नहीं होना चाहिए था, संविधान में लक्ष्मण रेखा है'

ममता ने कहा, बंगाल हारना नहीं जानता। प्रधानमंत्री ने अभी तक मेरी चिट्ठी का जवाब नहीं दिया है। यह सब होना ही नहीं चाहिए था। इसके लिए संविधान में लक्ष्मण रेखा खींची गई है। बिना राज्य सरकार से चर्चा किए केंद्र ऐसा नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट का भी निर्देश स्पष्ट है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राजनीतिक प्रतिहिंसा है। विधानसभा चुनाव में भाजपा हार गई, इसलिए यह सब कर रही है। उसके नेता चुनाव बाद हिंसा की बात बार-बार कह रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत की, केंद्रीय प्रतिनिधि दल भेजा। हमें तो कहीं हिंसा नजर नहीं आई।

सुबह पीएम से फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा था

इससे पहले सोमवार सुबह ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने के फैसले पर दोबारा विचार करने का आग्रह किया, खास कर तब जब हफ्ते भर पहले ही उन्हें तीन महीने का एक्सटेंशन दिया गया था। उन्होंने लिखा कि केंद्र का यह निर्णय एकतरफा है, इसमें राज्य से कोई चर्चा नहीं की गई। ममता के अनुसार, “पश्चिम बंगाल सरकार मौजूदा महत्वपूर्ण समय पर अपने मुख्य सचिव को रिलीज नहीं कर सकती, न ही वह ऐसा कर रही है। ”

पिछले सोमवार को आलापन को मिला था एक्सटेंशन

आलापन 1987 बैच के पश्चिम बंगाल कैडर के आइएएस अधिकारी हैं। साठ साल की उम्र होने के बाद वे सोमवार, 31 मई को रिटायर होने वाले थे। लेकिन राज्य के आग्रह पर केंद्र ने उन्हें तीन महीने का एक्सटेंशन दिया था। ममता सरकार ने कोविड मैनेजमेंट के लिए उनका एक्सटेंशन मांगा था।

बैठक में शुभेंदु अधिकारी की मौजूदगी से शुरू हुआ विवाद

केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने 28 मई को आलापन को निर्देश दिया था कि वे 31 मई की सुबह 10 बजे नॉर्थ ब्लॉक स्थित कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग में रिपोर्ट करें। केंद्र का यह निर्देश प्रधानमंत्री के ओडिशा और बंगाल दौरे के बाद जारी किया गया। प्रधानमंत्री कलाईकुंडा में समीक्षा बैठक के लिए गए थे, लेकिन वहां राज्यपाल और कई केंद्रीय मंत्रियों के साथ पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को भी बुला लिया गया। उसके बाद ममता समीक्षा बैठक में नहीं गईं। हालांकि वे अलग से प्रधानमंत्री से मिलीं और उन्हें अपनी मांगें सौंपी। उनके साथ मुख्य सचिव आलापन भी थे।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad