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नीतीश बने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष, शरद करते रहेंगे मार्गदर्शन

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज जदयू के नए अध्यक्ष निर्वाचित हुए। इस पहल के जरिये कुमार का पार्टी पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित हो गया है और बिहार से बाहर पार्टी के प्रसार की कोशिशों और 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
नीतीश बने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष, शरद करते रहेंगे मार्गदर्शन

जदयू की रविवार को दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में नीतीश कुमार को इस शीर्ष पद के लिए सर्वसम्मति से चुन लिया गया। कुमार इस पद का प्रभार वरिष्ठ नेता शरद यादव से ग्रहण कर रहे हैं जो एक दशक तक अध्यक्ष पद पर रहे। शरद ने इस पद के लिए चौथी बार दावेदारी नहीं करने का निर्णय किया था। कुमार पहली बार जदयू अध्यक्ष चुने गए हैं जो बिहार में पार्टी का चेहरा रहे हैं। इससे पहले जार्ज फर्नांडिस और शरद यादव पार्टी अध्यक्ष रह चुके हैं जो बिहार के बाहर से थे हालांकि उनकी कर्मभूमि बिहार ही रही। नीतीश ने जदयू अध्यक्ष चुने जाने के बाद ट्विट कर कहा, पार्टी के मुझपर विश्वास व्यक्त करने से अभिभूत हूं। हम शरद यादव की विरासत को आगे बढ़ाने का पूरा प्रयास करेंगे और मैं जदयू के नए अध्यक्ष की भूमिका को स्वीकार करता हूं। अब जदयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक 23 अप्रैल को पटना में होगी जहां कुमार के निर्वाचन का अनुमोदन किया जाएगा। कुमार ने जदयू को मजबूत बनाने में शरद यादव की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि वह पार्टी के मार्गदर्शक बने रहेंगे।

 

राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक के बाद नेताओं ने बताया कि बैठक में नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव शरद यादव ने किया और पार्टी महासचिव के सी त्यागी के साथ जावेद रजा एवं अन्य नेताओं ने इसका समर्थन किया। त्यागी ने बताया कि बिहार के मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में समान विचारधाराओं वाली पार्टी को साथ लाने के प्रयासों के बारे में बताया और नई जिम्मेदारी को स्वीकार किया। बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू, राजद और कांग्रेस गठबंधन को भाजपा नीत राजग पर जीत दिलाने में नीतीश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जदयू में अजीत सिंह के नेतृत्व वाली रालोद और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी के झारखंड विकास मोर्चा के विलय के बारे में बात चल रही है। जदयू 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव को प्रमुखता दे रही है और कुछ दलों के विलय को महत्व दे रही है। 

 

पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने अपनी भूमिका के बारे में पूछे जाने पर कहा कि वह पार्टी का आधार बढ़ाने का काम करेंगे। इससे पहले अपने आवास पर उन्होंने कहा, वह जैसे पहले थे, वैसे ही रहेंगे। राष्ट्रीय राजनीति में मैं पार्टी की वजह से नहीं हूं। पार्टी की कार्यकारणी में पारित प्रस्ताव में यादव की प्रशंसा करते हुए कहा गया कि वे भाई भतीजावाद, गुटबाजी और आत्ममंडन से हमेशा दूरी बनाए रहे।

 

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