बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को एक और झटका लगा है। पार्टी के उपाध्यक्ष विजेंद्र यादव ने पार्टी और पद दोनों से इस्तीफा दे दिया है। यादव ने कहा है कि पार्टी में अब पुराने नेताओं की कोई इज्जत नहीं रही। विजेंद्र यादव को आरजेडी में 'किंगमेकर' के नाम से जाना जाता है। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी छोड़ने का ऐलान किया।
विजेंद्र यादव पूर्व में विधायक रहे हैं। उन्होंने पार्टी छोड़ने के साथ ही अपने पद से भी त्यागपत्र दे दिया है। वे लालू यादव और अन्य वरिष्ठ नेताओं के काफी करीबी नेताओं में रहे हैं। विजेंद्र यादव ने कहा कि 'लालू जी भी अब वो नहीं रहे जो 1990 और 2000 के दशक में हुआ करते थे। वे भी बदल गए हैं। इसलिए बदलाव वक्त का तकाजा है, जिसे देखते हुए मैं इस्तीफा दे रहा हूं।'
विजेंद्र यादव ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि उन्हें पिछले 10 साल से दरकिनार किया जा रहा था। लालू जी हमारे नेता रहे हैं और आगे भी रहेंगे लेकिन इस पार्टी में पुराने नेताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। नए नेता चुनाव लड़ने में लगे हुए हैं। जिले में कई कार्यक्रम हुए, जिनमें मुझे बोलने का मौका तक नहीं दिया गया, जबकि मैं मंच पर मौजूद रहा।
विजेंद्र यादव ने कहा कि पार्टी में पुराने नेताओं को इज्जत नहीं मिल रही है। मैं 1984 से सक्रिय राजनीति में हूं। मैंने सोचा कि लालू जी के साथ जिस प्रकार की राजनीति मैंने शुरू की, उसे उसी ढंग से समाप्त करूंगा, लेकिन आरजेडी नहीं चाहती कि मैं अपनी राजनीति उसके साथ जारी रखूं। वे (आरजेडी नेता) चाहते हैं कि मैं पार्टी छोड़ दूं। उन्होंने कहा, मुझे दुख है कि मैं यह पार्टी छोड़ रहा हूं, जिससे मैं पिछले 30 साल से जुड़ा था। लोगों के बीच मैं आज भी उनका नेता हूं। जब मुझे कोई जिम्मेदारी नहीं दी जा रही तो मैं पार्टी में कैसे रह सकता हूं?
आरा के संदेश से दो बार रहे विधायक
विजेंद्र यादव, आरा के संदेश से दो बार विधायक रहे हैं। वर्तमान में उनके भाई अरुण यादव संदेश से आरजेडी के विधायक हैं। विजेंद्र यादव ने शनिवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को अपना इस्तीफा भेज दिया। इसी के साथ आरजेडी से करीब तीन दशक पुराना नाता उन्होंने तोड़ने का ऐलान किया।
नौ एमएलसी सीटों पर होने हैं चुनाव
बता दें कि 7 जुलाई को विधान परिषद की 9 सीटों पर चुनाव होने वाले हैं। राजद की ओर से तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी बनाया जा सकता है। पार्टी की मौजूदा संख्या के आधार पर 9 में से तीन सीटों पर उसकी जीत पक्की है। विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले विधान परिषद के चुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा है। विधान परिषद की जिन 9 सीटों पर चुनाव होने वाले हैं, उनका कार्यकाल मई के पहले सप्ताह में पूरा हो गया है। जिनका कार्यकाल पूरा हो रहा है उसमें मंत्री अशोक चौधरी, विधान परिषद के कार्यकारी सभापति हारुण रसीद, हीरा प्रसाद बिंद, पीके शाही, सतीश कुमार, सोनेलाल मेहता, कृष्ण कुमार सिंह, राधामोहन शर्मा और संजय प्रकाश शामिल हैं।