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शिवसेना (यूबीटी) नेता की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने नारायण राणे को समन जारी किया

बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को शिवसेना नेता विनायक राउत की उस याचिका पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)...
शिवसेना (यूबीटी) नेता की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने नारायण राणे को समन जारी किया

बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को शिवसेना नेता विनायक राउत की उस याचिका पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद नारायण राणे को सम्मन जारी किया जिसमें रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग निर्वाचन क्षेत्र से राणे का निर्वाचन रद्द करने की मांग की गई है।

राणे ने दो बार के सांसद राउत को लोकसभा के लिए अपने पहले चुनाव में 47,858 मतों के अंतर से हराया। राणे को 4,48,514 वोट मिले, जबकि राउत को 4,00,656 वोट हासिल कर पाये।

राउत ने पिछले माह उच्च न्यायालय में एक चुनाव याचिका दायर कर दावा किया था कि राणे ने ‘‘धोखाधड़ी’’ करके चुनाव जीता है। इसके साथ ही उन्होंने रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग सीट से भाजपा नेता का निर्वाचन रद्द करने तथा पांच साल तक उनके चुनाव लड़ने और मतदान करने पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था।

न्यायमूर्ति एस वी कोतवाल की एकल पीठ ने राणे को समन (नोटिस) जारी किया और याचिका पर उनका जवाब मांगा। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर को तय की है।

राउत ने अपनी याचिका में निर्वाचन क्षेत्र में पुन: चुनाव कराने के लिए भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को निर्देश देने का भी अनुरोध किया है।

शिवसेना (यूबीटी) नेता ने सुनवाई लंबित रहने तक राणे को रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग के सांसद के रूप में काम जारी रखने से रोकने के लिए निर्देश देने की अपील भी की है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद, एक वीडियो सामने आया जिसमें राणे के समर्थक मतदाताओं को ईवीएम दिखाकर धनराशि बांटते और ‘‘अवैध और अनुचित’’ तरीकों से उन्हें भाजपा नेता को वोट देने के लिए कहते नजर आए।

राउत ने वीडियो की जांच की खातिर एक स्वतंत्र समिति गठित करने के लिए अदालत से निर्देश देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार गतिविधियों को रोक दिया जाना चाहिए। हालांकि, राणे और उनके समर्थकों की यह गतिविधियां ‘‘वैधानिक प्रावधान का स्पष्ट उल्लंघन’’ है।

राउत ने मई में महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी। जब कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो राउत ने उच्च न्यायालय का रुख किया।

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