बसपा सुप्रीमो ने पार्टी काडर को नसीहत दी कि 20-22 सालों तक कोई बसपा अध्यक्ष बनने का सपना न देखे। साथ ही उन्होंने गठबंधन पर भी अहम बात कही।
शनिवार को लखनऊ में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद मायावती ने कहा 'यह सही है कि गठबंधन को लेकर उनकी बातचीत उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों में राजनीतिक पार्टियों से चल रही है लेकिन गठबंधन तभी होगा जब सीटों का समझौता सम्मानजनक होगा।' मायावती ने गठबंधन न होने की स्थिति में कार्यकर्ताओं से अकेले लड़ने को भी तैयार रहने को कहा है।
साफ है अखिलेश यादव के साथ मायावती के गठबंधन पर बातचीत तो चल रही है लेकिन इसे तब तक अंतिम नहीं माना जा सकता जब तक दोनों पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हो जाता।
मायावती ने कहा, 'पार्टी किसी भी राज्य में व किसी भी चुनाव में, किसी भी पार्टी के साथ केवल 'सम्मानजनक' सीटें मिलने की स्थिति में ही कोई चुनावी गठबंधन या समझौता करेगी अन्यथा फिर हमारी पार्टी अकेली ही चुनाव लड़ना ज्यादा बेहतर समझती है।'
बता दें कि कैराना लोकसभा उपचुनाव को लेकर कि अभी तक मायावती ने समर्थन का ऐलान नहीं किया है। हालांकि अजीत सिंह की पार्टी आरएलडी और समाजवादी पार्टी के मुताबिक गठबंधन के संकेत दिए जा चुके हैं और उनके वोटर्स गठबंधन को वोट जरूर करेंगे, लेकिन मायावती ने कैराना और नूरपुर उपचुनाव में अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
यूपी में फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में बसपा ने सपा को मौन समर्थन दिया था। तब से दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की अटकलें लगाई जा रही थीं लेकिन सीटों के बंटवारे पर अपनी बात रखकर मायावती ने सपा को भी असमंजस में डाल दिया होगा।