लोकसभा चुनाव से पहले बसपा और सपा ने हाथ मिलाकर भाजपा के खिलाफ मजबूत घेरेबंदी कर दी है। इस बार उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होंगे। पिछले चुनावी आंकड़ें बताते हैं कि सपा-बसपा गठबंधन इस बार भाजपा के विजय रथ को रोक सकता है। वैसे भी इस बार न तो मोदी लहर है और न ही 2014 के चुनावों जैसे हालात।
आइए जानते हैं इस बार बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश का गठबंधन कैसे यूपी की 80 सीटों का बदल सकता है समीकरण।
बसपा और सपा की दोस्ती से कई इतिहास दोहराए जा रहे हैं। पहला, करीब 26 साल पहले 1993 में बसपा संस्थापक कांशीराम और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने दोस्ती का हाथ मिलाया था, तो दूसरा करीब दो साल पहले विधानसभा चुनाव में हुआ, सपा और कांग्रेस की दोस्ती हुई। अखिलेश यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ उसी स्थान पर साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की घोषणा की थी, जहां अब मायावती के साथ कर रहे हैं।
पिछले चुनाव में दोनों को मिले थे 41.8 फीसदी मत
पिछले लोकसभा चुनाव में सपा को 22.2, बसपा को 19.6 फीसदी वोट मिले थे। दोनों दलों के वोट प्रतिशत जोड़ दिए जाएं तो कुल मत प्रतिशत 41.8 प्रतिशत हो रहा है। इन चुनावों में सपा ने पांच सीटें जीती थीं तो बसपा का खाता भी नहीं खुल पाया था। जबकि भाजपा ने 42.3 फीसदी वोटों के साथ 73 सीटों पर परचम लहराया था। हालांकि उपचुनावों में गोरखपुर, फूलपुर, कैराना और नुरपूर जीतने के बाद से ही सपा-बसपा का गठबंधन तय माना जा रहा था। इसमें दोनों दलों के साथ रालोद, पीस पार्टी और निषाद पार्टी का आना भी तय है, लेकिन सीटों को लेकर अभी भी स्थिति साफ नहीं है। रालोद छह सीटें मांग रही है तो गठबंधन की ओर से तीन सीटें देने की बात चल रही है।
40 से 45 सीटें मिलने का दावा
सपा के एमएलसी शतरुद्र प्रकाश का कहना है कि कम से कम 40 से 45 सीटें गठबंधन को मिलेंगी। सेंट्रल यूपी, पश्चिमी यूपी और पूर्वांचल में गठबंधन को सीधे फायदा मिल रहा है। नतीजे चौंकाने वाले होंगे। भाजपा के कई केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ पदाधिकारी भी इस बार अपनी सीटों से चुनाव हारेंगे।
कांग्रेस से पड़ सकता है गठबंधन पर असर
कांग्रेस के सपा-बसपा गठबंधन से अलग लड़ने के कारण गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ सकता है। परिस्थितियां बदलते ही कांग्रेस में टिकटों के लिए प्रमुख 40 दावेदारों के नाम सामने आ गए हैं और ये ऐसे नाम हैं, जिनमें कुछ का जीतना तय है। इसके अलावा कांग्रेस भी अन्य छोटे दलों से गठबंधन करेगी तो इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलना तय है। कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह का कहना है कि चुनाव को लेकर आधिकारिक तौर पर बहुत जल्द पिक्चर साफ हो जाएगी।