भाजपा सरकार ने नए सिरे से खोला माओवादियों के खिलाफ मोर्चा
यह महज इत्तेफाक हो सकता है कि राजधानी रायपुर में 13 दिसंबर 2023 को नए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के शपथ ग्रहण समारोह के कुछ देर पहले नारायणपुर में नक्सलियों के आइईडी धमाके ने सबको हिला कर रख दिया। उस नक्सली हमले में एक जवान शहीद हो गया और दूसरा जख्मी हो गया। शपथ समारोह के फौरन बाद मुख्यमंत्री ने नक्सलियों के खिलाफ गंभीर कार्रवाई करने की मंशा से बैठक बुलाई। मुख्य सचिव अमिताभ जैन और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक जुनेजा को मुख्यमंत्री निवास में तलब किया गया और नक्सल ऑपरेशन से जुड़े तमाम अफसरों से जानकारियां हासिल की गईं। नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में तेजी लाने और सख्ती से कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। खुद डीजीपी को नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन की मॉनिटरिंग करने और रिपोर्ट देने को कहा गया।
बाद में पत्रकारों से चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार आई है, नक्सलियों की बौखलाहट बढ़ गई है, जिसके चलते माओवादी कायराना हरकत कर रहे हैं। मैं प्रदेश की जनता को आश्वस्त करता हूं कि पहले भी हमने 15 वर्षों में नक्सलियों से लड़ाई लड़ी हैं। इस बार डबल इंजन की सरकार है। आने वाले समय में मजबूती से हम नक्सलियों से लड़ेंगे।’’
इससे पहले, या कहें चुनावी वर्ष में छत्तीसगढ़ में नक्सली सक्रिय हो गए। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में भाजपा नेताओं की टारगेट किलिंग का मामला थमता नजर नहीं आ रहा था। नक्सल प्रभावित जिलों में एक साल के भीतर चार से अधिक भाजपा नेताओं की हत्या हुई। राज्य में पहले चरण के मतदान से तीन दिन पहले नक्सलियों ने एक भाजपा नेता की हत्या कर दी। नक्सलियों ने नारायणपुर जिले के छोटेडोंगर मुंडाटिकरा में चुनाव प्रचार में जुटे भाजपा नेता रतन दुबे की हत्या कर दी। रतन दुबे भाजपा की नारायणपुर जिला इकाई के उपाध्यक्ष थे।
चुनाव के बाद आदिवासी बहुल क्षेत्र में भाजपा की बड़ी जीत से नक्सली हमले और तेज हुए। केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक दशक में (नक्सली) हिंसा की घटनाओं में 52 प्रतिशत, मौतों (माओवादी हिंसा में) में 70 प्रतिशत, आम लोगों की मौत में 68 प्रतिशत और नक्सल प्रभावित जिलों में 62 प्रतिशत की गिरावट आई है। नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 96 से घटकर 45 हो गई है और उग्रवादग्रस्त पुलिस थानों की संख्या 495 से घटकर 176 हो गई है।
भाजपा की सरकार आने के बाद नक्सलियों का ‘प्रवेश द्वार’ कहे जाने वाले बस्तर के गंगालूर इलाके में सुरक्षाबलों का नियंत्रण बढ़ गया है। गंगालूर क्षेत्र के डुमरीपालनार, पालनार और चिंतावागु गांवों में बीते कुछ दिनों के भीतर सुरक्षाबलों के कैंप खोल दिए गए हैं। साथ ही, तेलंगाना और महाराष्ट्र सीमा क्षेत्र में नक्सलियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी तथा तेलंगाना स्टेट कमेटी के लिंकिंग जोन में चिंतावागु नदी के दूसरी ओर सीआरपीएफ का कैंप बना दिया गया है। कहते हैं कि लिंकिंग जोन में कैम्प नक्सल कॉरीडोर को ब्रेक करने की मंशा से स्थापित किया गया है। अब वहां सुरक्षाबलों की स्थिति मजबूत होती दिख रही है।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव जीतने के बाद नक्सली हिंसा के गढ़ बस्तर में पहली बार पहुंचे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने नक्सलियों को कड़ा संदेश भी दे डाला। उन्होंने चेतावनी दी कि नक्सलियों से अब तभी बात होगी जब वे हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटेंगे। उन्होंने कहा कि हिंसा पर उतारू नक्सलियों को किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नीति के अनुसार, नक्सलियों के विरुद्ध चलाए जा रहे सूर्यशक्ति अभियान में आक्रामकता लाई जाएगी। जानकारों का कहना है कि अंदरूनी क्षेत्रों में कैंप खुलने से नक्सलियों को कड़ी चुनौती मिलेगी। साय का कहना है हिंसा किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।