वामपंथी दलों ने आर्थिक मंदी और महंगाई के खिलाफ देश भर में 10 से 16 अक्टूबर 2019 के बीच अभियान चलाया। पार्टियों ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की नीतियां अडानी-अंबानी जैसे कॉरपोरेट घरानों के पक्ष में एवं किसान-मजदूर के विरोध में हैं। वाम दलों का साझा विरोध प्रदर्शन आज जंतर मंतर पर आयोजित किया गया। प्रदर्शन का नेतृत्व सीपीआई(एम), सीपीआई, सीपीआई(एम-एल), आरएसपी और सीजीपीआई के राष्ट्रीय नेताओं जिनमें सीपीआई(एम) महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई महासचिव डी राजा, आरएसपी से आर एस डागर, सीपीआई(एम-एल) से कविता कृष्णन और सीजीपीआई से संतोष ने किया।
आर्थिक मंदी और महंगाई की आलोचना
सीताराम येचुरी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश में आर्थिक मंदी और बढ़ती महंगाई मोदी सरकार की गलत नीतियों का ही दुष्परिणाम हैं। जिसमें नोटबंदी तथा बिना किसी तैयारी के जी॰एस॰टी॰ को लागू करने से अर्थव्यवस्था को अपूर्णीय क्षति का सामना करना पड़ा। भारत की अर्थव्यवस्था पहले से ही बढ़ती बेरोज़गारी, महंगाई, छटनी और जीवन यापन के मुद्दों से बेहाल थी। मोदी सरकार बढ़ती बेरोजगारी, ठेकेदारी, कम आय और बढ़ती कृषि संकट की समस्याओं से बेखबर बनी हुई है। इससे देश की कामकाजी आबादी के बड़े हिस्से को बेताहाशा तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है।
छद्म राष्ट्रवाद और ध्रवीकरण की राजनीति कर रही भाजपा
उन्होंने कहा कि सरकार ने रिजर्व बैंक से जो 1.76 लाख करोड़ रुपये लिए उनका उपयोग सार्वजनिक निवेश कर नौकरियों में इजाफा करने और घरेलू मांग को बढ़ाने के बजाय मोदी सरकार इस धनराशि से 1,70,000 करोड़ के राजस्व घाटे को पूरा करना चाहती है जो पिछले साल की नोटबंदी और जीएसटी के कारण पैदा हुआ है। आर्थिक मंदी को दूर करने के नाम पर कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। मोदी सरकार का ध्यान हटाने के लिए छद्म राष्ट्रवाद का जुनून बढ़ा रही है और ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है।
इस सभा के जरिये वाम नेताओं ने देशभर के कार्यकर्ताओं एवं जनता से अह्वाहन करते हुये कहा कि इस सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ अभियान को अंजाम तक पहुँचाने के लिए आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं।