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परिसीमन/नजरियाः इससे तो ढहेगा संघीय ताना-बाना

सवाल है कि परिसीमन कैसे होना चाहिए, क्या प्रगति की कीमत पर जनसंख्या वृद्धि को पुरस्कृत करना चाहिए? एक...
परिसीमन/नजरियाः इससे तो ढहेगा संघीय ताना-बाना

सवाल है कि परिसीमन कैसे होना चाहिए, क्या प्रगति की कीमत पर जनसंख्या वृद्धि को पुरस्कृत करना चाहिए?

एक व्यक्ति, एक वोट; एक वोट, एक मूल्य’’ किसी विशाल राष्ट्र के लिए एक आदर्श स्थिति है। ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ में तो कोई दोष नहीं है, लेकिन राज्यों के संघ भारत में असल समस्या प्रत्येक वोट के मूल्य को निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्गठन के माध्यम से बराबर करने में है, जो यह तय करे कि सभी क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या लगभग समान हो। भारतीय गणराज्य मोटे तौर पर उन विशाल हिंदी भाषी राज्यों के इर्द-गिर्द खड़ा है, जिनमें गरीब आबादी लगातार बढ़ती जा रही है। अन्य राज्य, विशेष रूप से वे दक्षिणी राज्य जिन्होंने परिवार नियोजन को सफलतापूर्वक लागू कर इस प्रक्रिया में ठीकठाक समृद्धि हासिल की है, वे डरते हैं कि कहीं यह संवैधानिक ढांचा लगातार विस्तृत होते सिंधु-गंगा के मैदानी झुंडों के हाथों उन्हें महज राजस्व उगाही के शक्तिहीन स्रोतों में न बदल डाले। इसलिए लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के निष्पक्ष परिसीमन का विचार कठोर प्रतिक्रियाओं को जन्म देता है।

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