आम आदमी पार्टी का कहना है कि देश में क्राइम में कमी आई है लेकिन दिल्ली में अपराध बढ़ा है। अपराध के ग्राफ में नेशनल क्राइण रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़े भाजपा की चौतरफा नाकामी के सबूत हैं तथा दिल्ली पुलिस अपराध रोकने के बजाय महज एक राजनैतिक हथियार बन गई है जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेस में आप प्रवक्ता दिलीप पांडे ने एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली में 2016में महिलाओँ के खिलाफ अपराधों की संख्या सबसे ज्यादा दर्ज की गई है जो न केवल राजधानी दिल्ली बल्कि केंद्र में भाजपा द्वारा शासित दूसरे राज्यों में भी अपराध का यही हाल है।
आप प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा के शासनकाल में दिल्ली देश की अपराध राजधानी बनी हुई है और दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार जवाबदेही के लिए तैयार तक नहीं है। दिल्ली की कानून व्यवस्था सीधे केंद्र सरकार के तहत आती है। भाजपा न तो दिल्ली की जनता की सुरक्षा कर पा रही है और न ही उन राज्यों की जनता की सुरक्षा कर पा रही है जिसमें भाजपा की सरकार है। दिल्ली अपराध में अव्वल स्थान हासिल कर रही है। दिल्ली के सातों भाजपा के सांसद पूरी तरह से सुन्न हैं और कहीं भी दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा और दिल्ली की जनता की सुरक्षा की बात नहीं करते हैं, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
दिलीप पांडे ने कहा कि ‘दिल्ली के हाईकोर्ट ने बार-बार केंद्र सरकार को दिल्ली पुलिस में खाली पड़ी रिक्तियों को भरने के लिए कहा है। 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के बाद से अब तक दिल्ली पुलिस ने कोई बड़ी और व्यापक भर्तियां नहीं की है जिसकी वजह से दिल्ली पुलिस में स्टाफ़ की भारी कमी है, बावजूद इसके केंद्र सरकार चुप्पी साध कर बैठी है क्योंकि उन्हें कानून-व्यवस्था की कोई चिंता ही नहीं है।
आम आदमी पार्टी की विधायक अल्का लाम्बा ने कहा कि ‘साल 2016 के आंकड़ों के मुताबिक देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकड़े 41,761 की संख्या में सामने आए हैं, उसमें से अकेले दिल्ली में 13,803 दर्ज़ किए गए हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और बहुत हुआ महिला पर वार, अबकी बार मोदी सरकार के नारे पर आज देश की महिला केंद्र सरकार से जवाब चाहती है। आम आदमी पार्टी की महिला विंग की दिल्ली प्रदेश संयोजक रिचा पांडे मिश्रा ने कहा कि आंकड़ों से यह साबित हो जाता है कि गृह मंत्रालय की दिल्ली में कोई रुचि नहीं है। खासकर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भाजपा पूरी तरह से ग़ैरज़िम्मेदार हैं।