पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और छत्तीसगढ़ कांग्रेस के एक खास खेमे के नेताओं की परेशानी बढ़ा दी है
रायपुर में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की विशेष अदालत में 508 करोड़ रुपये से ज्यादा के महादेव ऐप सट्टा के मामले में दाखिल पूरक आरोप-पत्र ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और छत्तीसगढ़ कांग्रेस के एक खास खेमे के नेताओं की परेशानी बढ़ा दी है। जेल में बंद कथित कैश कूरियर असीम दास के बयान के हवाले से आरोप-पत्र में कथित तौर पर कहा गया है कि महादेव ऐप का पैसा पूर्व सरकार के एक बड़े नेता के लिए ही भेजा गया था। पूरक आरोप-पत्र में कथित रूप से बघेल का जिक्र है।
इस मामले में भूपेश बघेल ने 6 जनवरी को कहा था, ‘‘ईडी अपने राजनैतिक आकाओं के इशारे पर साजिश करके लोगों को गिरफ्तार कर रही है और उनसे दबावपूर्वक मेरे और मेरे सहयोगियों के खिलाफ बयान दिलवा रही है। इन बयानों में जो पैसों की लेनदेन के आरोप लगाए गए हैं, उनका कोई आधार नहीं है।’’ बघेल ने बताया कि जिस असीम दास के पास से रुपये बरामद हुए बताए गए, उसने जेल से हस्तलिखित बयान में कह दिया है कि उसे धोखे में रखकर फंसाया गया है और उसने कभी किसी नेता और उससे जुड़े लोगों को पैसा नहीं पहुंचाया। अब ईडी दावा कर रही है कि उसने वह बयान वापस ले लिया है। यह किस दबाव में हो रहा है, उसे सब जानते हैं।
जांच एजेंसी के 1,800 पन्नों के आरोप-पत्र में दावा है कि विधानसभा चुनाव के दौरान बघेल के लिए महादेव ऐप सट्टा प्रमोटर्स की तरफ से 508 करोड़ रुपये भेजे गए थे। उसमें दुबई में 99.46 करोड़ के फ्लैट और एक प्लाट जब्त करने की बात का भी जिक्र है। आरोप-पत्र में महादेव ऐप के कार्यकारी नीतीश दीवान के बयान को भी शामिल किया है जिसके मुताबिक नीतीश महादेव ऐप और उसकी सहायक कंपनी रेड्डी अन्ना बुक के 3200 पैनलों का संचालन करता है, जिससे प्रतिदिन करीब 40 करोड़ रुपये की आय होती थी। बताया जा रहा है कि ईडी पूर्व मुख्यमंत्री बघेल का बयान दर्ज करने उन्हें बुलाने की तैयारी कर चुकी है।
बघेल कहते हैं कि ईडी ने जिस दिन कथित रूप से असीम दास से रुपये बरामद किए थे उस घटना की पूरी रिकॉर्डिंग ईडी के पास है। इसका मतलब है कि पूरी घटना पूर्व नियोजित थी और इसका मतलब यही है कि इसकी कूटरचना ईडी ने ही की थी। ईडी ने दावा किया है कि चंद्रभूषण वर्मा ने भी अपना पहले का बयान वापस ले लिया है। बघेल कहते हैं कि वे तो शुरुआत से कह रहे हैं कि ईडी मारपीट से लेकर धमकी देने तक हर हथकंडे अपनाकर उनके और उनके सहयोगियों का नाम लेने का दबाव बना रही है। ईडी के नए दस्तावेज से यह और स्पष्ट हो गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि महादेव ऐप के घोटाले की जांच उन्होंने ही मुख्यमंत्री रहते शुरू की थी ताकि इस पूरे गिरोह का भंडाफोड़ हो और युवाओं को जुआखोरी की ओर धकेल रहे इस अपराध पर रोक लगे। छत्तीसगढ़ के उप-मुख्यमंत्री तथा गृहमंत्री विजय शर्मा का कहना है कि प्रवर्तन निदेशालय ने कार्रवाई की है, जो गुनहगार होगा उसका नाम होना स्वाभाविक है।