केजरीवाल का कहना है कि जिस तरह आयोग ईवीएम के मामले में कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। इससे यह शक पुख्ता होना लाजिमी है कि कहीं ईवीएम में होने वाली गड़बिड़यां आयोग के इशारे पर तो नहीं हो रही है।
केजरीवाल ने आयोग पर निशाना साधकर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। उन्होंने इस मामले की जांच कराए जाने की मांग की है कि आखिर इस साजिश के
पीछे कौन है?
उत्तरप्रदेश व उत्तराखंड में भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत के बाद बसपा ने ईवीएम में गड़बड़ी का मामला सबसे पहले उठाया था। उसके बाद सपा, कांग्रेस व आप ने भी ईवीएम को लेकर शंकाएं जारी की थी। केजरीवाल ईवीएम में गड़बड़ी के आरोपों के चलते एमसीडी के चुनाव भी बैलेट पेपर से कराने की मांग कर चुके हैं।
ईवीएम में गड़बड़ी का अब ताजा मामला राजस्थान के धौलपुर से आने के बाद उन्होंने अब आयोग को ही शंका के घेरे में ला दिया है। उनका कहना है कि आयोग धृतराष्ट्र बन गया है और अपने दुर्योधन बेटे को गद्दी पर बैठाना चाहता है। आयोग इस मामले में कुछ सुनने को तैयार नहीं है।
केजरीवाल का कहना है कि वह ईवीएम में गड़बड़ी की बात नहीं कर रहे बल्कि इसमें प्रोग्रामिंग व कोड में छेड़छाड़ की बात कर रहे है जिससे कोई भी वोट डालने पर एक ही पार्टी को यह वोट चला जाता है। आखिर यह किसकी सहमति से हो रहा है और इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इस बात की जांच की जानी चाहिए। उन्होंने ऐसे हालात में निष्पक्ष तरह से एमसीडी चुनाव कराने पर भी संदेह जताया है।
उनका कहना है कि इससे लोकतंत्र के प्रति लोगों का विश्वास ही उठ जाएगा और फिर चुनाव कराने का भी कोई मतलब नहीं रह जाएगा। सवाल यह है कि जब आयोग ही संदेह के दायरे में है तब इस मामले में निष्पक्ष जांच कौन करेगा?