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योगेंद्र यादव के समर्थन में भाकियू समेत कई किसान संगठन

किसानों से जुड़ी मांगों को लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे स्‍वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव की गिरफ्तारी के विरोध में किसान संगठन लामबंद होने लगे हैं।
योगेंद्र यादव के समर्थन में भाकियू समेत कई किसान संगठन

अखिल भारतीय किसान समन्‍वय समिति की अगुवाई में भारतीय किसान यूनियन समेत कई किसान संगठनों ने योगेंद्र यादव का समर्थन किया है। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्‍ता राकेश टिकैत ने दिल्‍ली के रेस कोर्स में किसान स्‍मारक बनाने की मांग का समर्थन किया है। टिकैत का कहना है कि जिस तरह योगेंद्र यादव को घसीटते हुए गिरफ्तार किया गया, वह सरासर गलत है। किसानों से जुड़े मुद्दों पर भाकियू भी आगामी 30 सितंबर को दिल्‍ली आने वाले राजमार्गों पर धरने-प्रदर्शन की तैयारी कर रही है। 

गौरतलब है कि कल देर रात जंतर-मंतर से पुलिस ने योगेंद्र यादव समेत करीब 90 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। योगेंद्र यादव ने पुलिस पर हाथापाई और बदसलूकी का आरोप लगाया है। हालांकि, पुलिस ने इन आरोपों से इन्‍कार किया है। लेकिन एक वीडियो सामने आया है, जिसमें मीडिया से बात करते हुए योगेंद्र यादव को पुलिस जबरन बीच में जबरन खींचकर ले जाती हुई दिख रही है। पुलिस का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास की ओर प्रदर्शनकारियों के मार्च को रोकने के लिए इन्‍हें हिरासत में लिया गया। इनकी रेस कोर्स की ओर रैली निकालने की योजना थी।  गिरफ्तार व्यक्तियों को विशेष मजिस्टेट के सामने पेश किया जाएगा।

उधर, राजनीतिक कटुता को दरकिनार करते हुए दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी योगेंद्र यादव के समर्थन में आगे आए हैं। केजरीवाल ने यादव के साथ पुलिस के बर्ताव की निंदा की है। हालांकि, संसद मार्ग पुलिस थाने पहुंचे आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह को योगेंद्र यादव समर्थकों के गुस्‍से का सामना करना पड़ा। कुछ लोगों ने संजय सिंह पर योगेंद्र यादव को पार्टी से निकलवाने का आरोप लगाते हुए उनके साथ हाथापाई करने की कोशिश की। 

योगेंद्र यादव ने लिखी चिट्ठी 

गिरफ्तारी के बाद योगेंद्र यादव ने एक पत्र लिखकर पुलिस की कार्रवाई का विरोध किया है। यादव ने लिखा है कि देश के हज़ारों किसानों ने स्वयं ये संकल्प लिया था कि एक विशाल हल को अपने कन्धों पर १५ अगस्त तक उठाए रखेंगे। सवाल ये है कि इस हल सत्याग्रह से सरकार इतनी डर क्यों गई है? या तो किसानो के मान-सम्मान की परवाह नहीं है या फिर सरकार किसान विरोधी होने के दाग से डरती है? या फिर रेस कोर्स में जुए का अड्डा चला रहे लोगों के राजनीतिक आका इस सत्याग्रह से डर गए हैं।

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