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"तालिबान से संबंध रखने में कोई हर्ज नहीं, हमने यहां करोड़ों का निवेश किया है", अफगान मामले पर अब्दुल्ला की मोदी सरकार को नसीहत

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद फारूक अब्दुल्ला ने सरकार को सलाह दी है कि अफगानिस्तान पर...

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद फारूक अब्दुल्ला ने सरकार को सलाह दी है कि अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान से बातचीत की जानी चाहिए। नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख ने शनिवार को कहा कि तालिबान अब अफगानिस्तान में सत्ता में है और भारत ने अफगानिस्तान में भारी निवेश किया है तो अब उनसे संबंध रखने में क्या हर्ज है। उनके इस बयान की चर्चा हो रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "अफगानिस्तान में तालिबान के पास सत्ता है। अफगानिस्तान में पिछली शासन के दौरान भारत ने अलग अलग प्रोजेक्ट पर अरबों रुपये खर्च किए हैं। हमें वर्तमान अफगान शासन से बात करनी चाहिए। हमने उस देश में बहुत निवेश किया है, तो उनसे रिश्ते रखने में हर्ज़ क्या है?"

कुछ दिन पहले भी नेशनल कॉन्‍फ्रेंस के चेयरमैन फारूक अब्‍दुल्‍ला ने अफगानिस्‍तान में बनी तालिबान की नई सरकार पर बयान दिया था। अब्दुल्ला ने तब उम्‍मीद जताई थी कि तालिबान अफगानिस्‍तान में इस्‍लामिक सिद्धांतों को मानते हुए मानवाधिकारों की रक्षा करेगा। उन्होंने कहा था कि तालिबान ने नियंत्रण कर लिया है और अब उन्हें देश की देखभाल करनी है। मुझे उम्मीद है कि वे सभी के साथ न्याय करेंगे। उन्हें सभी देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंधों पर जोर देना चाहिए।

अगस्त में अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी के बाद तालिबान ने काबुल की सत्ता पर दोबारा काबिज होने में कामयाबी हासिल की है। तालिबान ने सत्ता में आते ही औरतों और कमजोर तबकों के हकों को छीनना शुरू कर दिया है। ऐसे में दुनिया के ज्यादातर देश उनके साथ रिश्तों को लेकर अभी तक बहुत साफ स्टैंड नहीं ले पा रहे हैं। भारत सरकार भी तालिबान सरकार के साथ रिश्तों को लेकर सहज नहीं है।

बता दें कि पिछले शासन के दौरान भारत ने अफगानिस्तान में करीब 23 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है। भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के संसद भवन का निर्माण किया है और एक बड़ा बांध भी बनाया है। हमने शिक्षा और तकनीकी सहायता भी दी है। साथ ही, भारत ने अफगानिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों में निवेश को भी प्रोत्साहित किया है।

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