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कर्नाटक विधानसभा चुनाव: भाजपा और जद (एस) के बीच चन्नापटना क्षेत्र में ‘कड़ी टक्कर’

कर्नाटक में लकड़ी के खिलौने बनाने और रेशम उत्पादन के लिए मशहूर विधानसभा क्षेत्र चन्नापटना के कई...
कर्नाटक विधानसभा चुनाव: भाजपा और जद (एस) के बीच चन्नापटना क्षेत्र में ‘कड़ी टक्कर’

कर्नाटक में लकड़ी के खिलौने बनाने और रेशम उत्पादन के लिए मशहूर विधानसभा क्षेत्र चन्नापटना के कई मतदाता इस चुनावी माहौल में बार-बार यह टिप्पणी करते नजर आ रहे हैं कि यहां “कड़ी टक्कर” है।

जद (एस) नेता और दो बार के मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सी. पी. योगेश्वर के बीच रामनगर जिले के चन्नापटना में “कड़ी टक्कर” है। दोनों क्षेत्र के प्रभावशाली वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। यहां कांग्रेस की ओर से गंगाधन एस. मैदान में हैं। योगेश्वर 1999 से निर्दलीय के रूप में और कांग्रेस, भाजपा और समाजवादी पार्टी (सपा) से भी इस क्षेत्र से पांच बार चुने गए हैं।

उन्हें 2018 के चुनाव में चन्नापटना क्षेत्र में कुमारस्वामी के हाथों हार का सामना करना पड़ा, जहां कुमारस्वामी ने पहली बार राजनीति में प्रवेश किया। कुमारस्वामी ने तब योगेश्वर को 21,530 मतों से हराया था। 2013 में सपा उम्मीदवार के रूप में योगेश्वर ने कुमारस्वामी की पत्नी जद (एस) की अनीता कुमारस्वामी को 6,464 मतों से हराया।

कुमारस्वामी और योगेश्वर दोनों फिल्म उद्योग से जुड़े रहे हैं। जहां कुमारस्वामी एक फिल्म निर्माता एवं वितरक थे, वहीं योगेश्वर ने कुछ फिल्मों में काम किया है।

‘पीटीआई-भाषा’ ने इस अवधि में जितने भी मतदाताओं से बात की उनमें से अधिकांश मतदाता खुले तौर पर अपनी पसंद व्यक्त करने को तैयार नहीं थे और जैसा कि मतदाताओं ने कहा, “कुमारस्वामी और योगेश्वर के बीच “कड़ी लड़ाई” है”

कुमारस्वामी और योगेश्वर के बीच चुनाव को लेकर लोग उलझे हुए लगे, क्योंकि दोनों ही लोगों के बीच अच्छी छवि रखते हैं। योगेश्वर एक स्थानीय के रूप में लोकप्रिय हैं और सिंचाई, झीलों और टैंकों को भरने जैसे विकास कार्यों के लिए उन्हें इस क्षेत्र में श्रेय दिया जाता है, वहीं “भविष्य के मुख्यमंत्री” कुमारस्वामी को लोग अपने उम्मीदवार के रूप में चुनने का अवसर खोना नहीं चाहते हैं।

चन्नापटना के रेशम बाजार में रेशम किसान रघु ने कहा, “उनमें से कोई भी (कुमारस्वामी या योगेश्वर) जीत सकते हैं और लगभग 16,000 अनिर्णीत ऐसे मतदाता होंगे, जिनके पास दोनों में से किसी एक को जीताने की चाबी होगी।”

उन्होंने कहा, “दोनों के पास लगभग 58,000-60,000 वोट हैं और ये जो बीच के मतदाता हैं, वे इस चुनाव का फैसला करेंगे।” उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस को ज्यादा वोट मिले तो योगेश्वर की संभावनाओं को नुकसान पहुंचेगा।

डोड्डा मल्लूर में एक वरिष्ठ नागरिक केम्पेगौड़ा ने योगेश्वर का पक्ष लिया, क्योंकि वह चन्नापटना से हैं। डोड्डा मल्लूर ‘अप्रमेय स्वामी मंदिर’ के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा, “योगेश्वर ने हमारे टैंकों में पानी पहुंचाया। कुमारस्वामी यहां एक बार भी आकर हमसे नहीं मिले।”

मंदिर के पास ही दुकान चलाने वाले साठ वर्षीय ननजुंदा कहते हैं, “यहां भाजपा से ज्यादा योगेश्वर हैं। लोग यहां पार्टी को नहीं योगेश्वर को वोट देते हैं। जद (एस) के कुमारस्वामी ने भी कृषि ऋण माफी जैसे काम किए हैं, जब वह मुख्यमंत्री थे। यहां कांग्रेस नहीं है…।” इस बात से यह काफी हद तक स्पष्ट है कि यहां लोग भाजपा के समर्थक ज्यादा हैं, क्योंकि योगेश्वर इसके उम्मीदवार हैं।

निर्वाचन क्षेत्र के कुछ लोगों के अनुसार,टैंकों/झीलों में पानी पहुंचाकर हासिल लोकप्रियता के बावजूद योगेश्वर अपनी दल बदल गतिविधियों के कारण हार गए। कुमारस्वामी को सीट से संभावित मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में देखा जा रहा है।

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