जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाते हुए कहा है कि दिल्ली के लोग जम्मू-कश्मीर को प्रयोगशाला के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं और यहां प्रयोग कर रहे हैं। नेहरू, वाजपेयी जैसे नेताओं के पास जम्मू-कश्मीर के लिए दूरदृष्टि थी लेकिन यह सरकार हिंदू और मुसलमानों को बांट रही है। और तो और सरदार अब खालिस्तानी हैं, हम पाकिस्तानी हैं, सिर्फ बीजेपी ही हिंदुस्तानी है।
पूर्व सीएम मुफ्ती ने कहा कि परिसीमन की कवायद बेतरतीब ढंग से की जा रही है। वे सिर्फ नाम बदल रहे हैं (स्कूलों का नामकरण शहीदों के नाम पर) लेकिन नाम बदलने से बच्चों को रोजगार नहीं मिलेगा। वे (केंद्र) तालिबान, अफगानिस्तान के बारे में बात करते हैं लेकिन किसानों, बेरोजगारी के बारे में नहीं जबकि आज जम्मू में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। मुफ्ती ने कहा कि जम्मू क्षेत्र में बहुलवादी संस्कृति रही है। यह क्षेत्र देश का एकमात्र स्थान है जहां पर सभी जाति और धार्मिक विश्वास के लोग रहते हैं। आज कश्मीर के लोगों की आवाज दबाई जा रही है, उन्हें चुप कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद यहां दूध और शहद की नदियां बहने लगेगी लेकिन आज यहां देश में सबसे अधिक बेरोजगारी दर है। देश के 70 मंत्री यहां फीता काटने पहुंच रहे है लेकिन जिन कार्यों का भी उद्घाटन किया गया है। उसकी शुरुआत मनमोहन सरकार के दौरान ही की गई थी। मौजूदा सरकार द्वारा यहां पर अब तक किसी भी योजना की शुरुआत नहीं की गई है।
महंगाई के मुद्दे को लेकर मुफ्ती ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेलों के दाम काफी कम है, जबकि हमारे देश में पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं तो ये पैसे जा कहां रहे हैं? उन्होंने कहा कि अब जम्मू में रिलांयस स्टोर्स खोले जा रहे हैं। ऐसे में छोटे-छोटे व्यापारियों का क्या होगा? उन्हें अब बहुत कुछ सहन करना होगा। जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था तबाह कर दी गई है। कश्मीरी पंडित आज सड़कों पर हैं और प्रत्येक महीने मिलने वाली सहायता राशि नहीं मिलने को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। राज्य को लेकर नेहरू और वाजपेयी सरकार की स्पष्ट पॉलिसी थी लेकिन इस सरकार को कोई आइडिया ही नहीं है। आज यहां भ्रष्टाचार का बोलबाला है। खनन माफिया को बर्बाद कर दिया है।