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कृषि कानूनों पर शरद पवार के बयान को लेकर केंद्र सरकार कर रही है गुमराह, महाराष्ट्र के संदर्भ में की थी बातः एनसीपी

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार नए कृषि...
कृषि कानूनों पर शरद पवार के बयान को लेकर केंद्र सरकार कर रही है गुमराह, महाराष्ट्र के संदर्भ में की थी बातः एनसीपी

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों पर पार्टी प्रमुख शरद पवार के एक बयान पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। एनसीपी प्रमुख ने केंद्र के कृषि कानूनों के बारे में बात नहीं की है। वह महाराष्ट्र के कृषि कानूनों के बारे में बात कर रहे थे।

इससे पहले कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा था कि मैं शऱद पवार के वक्तव्य का स्वागत करता हूं। उन्होंने कहा कि शरद पवार ने कृषि क़ानूनों पर कहा है कि सभी क़ानून बदले जाने की आवश्यकता नहीं है। जिन बिंदुओं पर आपत्ति है उनपर विचार करके उन्हें बदला जाना चाहिए।

कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार पवार के द्वारा व्यक्त भाव से सहमत है। हमने 11 बार किसान यूनियन से इस बारे में बात की है। केंद्र सरकार बातचीत से जल्द हल निकालना चाहती है ताकि सभी किसान आंदोलन समाप्त करके घर जाएं और ठीक से खेती करें। तोमर ने दोहराया है कि किसान यूनियनों को कृषि क़ानूनों के जिन बिंदुओं पर आपत्ति है उन बिंदुओं पर भारत सरकार खुले मन से विचार करने के लिए तैयार है।

सरकार के इस निर्णय पर किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि शरद पवार ने भारत सरकार को कहा है कि बातचीत होनी चाहिए और समाधान होना चाहिए। कुछ किसान पीछे हटें, कुछ सरकार पीछे हटे और बातचीत से इसका समाधान निकले। सरकार को बात माननी चाहिए।

गुरुवार को शरद पवार ने कहा था कि 6 महीने से आंदोलन कर रहे हैं और किसानों तथा केंद्र सरकार के बीच डेडलॉक हो चुका है। वे अभी भी वहीं बैठे हुए हैं। केंद्र सरकार को किसानों से साथ बात करनी चाहिए। शरद पवार के इस बयान से केंद्र कृषि मंत्री ने उनका समर्थन किया।

गौरतलब है कि शरद पवार भी तत्कालीन यूपीए की सरकार में कृषि मंत्री रह चुके हैं। वर्तमान में मोदी सरकार जिन नए कृषि कानूनों को लेकरआई है उस वक्त भी ऐसे ही कानून यूपीए सरकार भी बनाना चाहती थी। कांग्रेस की ओर से भी ऐसे ही कानूनों को लागू करने की बात कही गई थी, लेकिन पिछले साल जब मोदी सरकार नए कृषि कानून लेकर आई तो विपक्षी दलों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया।

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