रैली में गोंडा से आए किसान दिग्गज पांडे, मनीष सिंह और संजय कुमार पाठक ने उसे आत्महत्या करते हुए देखा। यह पूछने पर कि उन्होंने उसे रोका क्यों नहीं ?, इसपर दिग्गज सिंह कहते हैं कि ‘ हमने सोचा कि वह आप का कार्यकर्ता है और पेड़ पर बैनर लगाने चढ़ रहा है। पुलिस भी उसी पेड़ के नीचे खड़ी थी। किसी को अंदाजा तक नहीं था। गजेंद्र सिंह के चेहरे पर न तो शिकन थी न डर। वह खुश सा लग रहा था और पेड़ पर झाड़ू लहरा रहा था।’
मनीष सिंह कहते हैं ‘उसने अपने अंगोछे का फंदा बनाया और पेड़ की डाल से पांव छोड़ दिया। इतने में दो लड़के पेड़ पर उसे बचाने के लिए चढ़े लेकिन वह मर चुका था।’ मनीष के अनुसार वह फंदे से झूलते ही मर गया था। गजेंद्र सिंह के पास से मिली एक चिट्ठी के अनुसार वह बेहद गरीब था और उसके पिता ने उसे घर से निकाल दिया था। उसके तीन बच्चे हैं। घर में खाने के लिए भी कुछ नहीं है।
‘ यहां नहीं मरुंगा तो साहूकार के हाथों मरुंगा’
गजेंद्र सिंह अपनी चिट्ठी के जरिये यह भी कहना चाह रहा था कि मरना तो उसे है ही। घर जाएगा तो साहूकार के हाथों मरेगा। राजस्थान के करौली से आए किसान प्रताप सिंह चौधरी अभी तक सदमें में हैं। वह कहते हैं कि राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार ने किसानों को कुछ भी नहीं दिया है। कम से कम आज अरविंद केजरीवाल ने किसानों को 50,000 रुपये हेक्टेयर देने का ऐलान तो किया लेकिन मोदी सरकार ने तो समर्थन मूल्य पर मिल रहा 150 रुपये बोनस भी किसानों से छीन लिया।
बाउंस होते चैक
गोंडा से आए किसानों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में तो सरकार द्वारा दिए गए चैक ही बाउंस हो रहे हैं। संजय सिंह पाठक कहते हैं कि कहीं 1600 रुपये का चैक मिला तो कहीं 18,000 का लेकिन सब बाउंस हो गए। चित्रकूट से आए संतोष भारद्वाज का कहना है कि बुंदेलखंड में अब तक बीते महीनों में 56 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। वहां किसानों की 100 फीसदी फसलें बरबाद हो चुकी हैं।
राजनाथ ने दिए जांच के आदेश
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जंतर पर हुई इस घटना के जांच के आदेश दे दिए हैं।