हेमन्त सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहे हाजी हुसैन अंसारी के बड़े पुत्र हफीजुल हसन मंत्री बन गये हैं। शुक्रवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस मौके पर झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद थे।उनको अल्पसंख्यक, खेलकूद कला संस्कृती एवं पर्यटन विभाग मिला है।
बिना विधायक बने हफीजुल हसन को मंत्री बनाकर हेमन्त सोरेन ने एक तीर से कई शिकार कर लिये। कोरोना से मुक्त होने के बाद बीते तीन अक्टूबर को रांची के एक निजी अस्पताल में हाजी हुसैन अंसारी की मौत हो गई थी। हफीजुल के पिता हाजीहुसैन अंसारी की मौत से मधुपुर विधानसभा की सीट खाली हो गई है। वहां विधानसभा उप चुनाव के लिए अभी घोषणा नहीं हुई है मगर कम समय में वहां चुनाव होना है।
हेमन्त सोरेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद दो उप चुनाव हो चुके हैं। एक खुद उनकी छोड़ी हुई सीट दुमका तो दूसरी कांग्रेस के राजेंद्र सिंह की मौत से रिक्त हुई बेरमो सीट पर। इधर राजद मधुपुर सीट पर अपनी दावेदारी जोरदार तरीके से ठोक रहा था कि गठबंधन के दो दल उप चुनाव की दो सीटों पर लड़ चुके हैं। ऐसे में मधुपुर उप चुनाव राजद के कोटे में आना चाहिए। हालांकि यह सीट झामुमो विधायह हाजी हुसैन अंसारी के निधन से रिक्त हुई है। राजद अभी भी कह रहा है कि मंत्री भले कोई बन जाये मगर अभी भी हमारी मधुपुर सीट पर दावेदारी है। हफीजुल को मंत्री बनाकर हेमन्त सोरेन ने राजद की दावेदारी और दबाव को नकारने का काम किया है। संवैधानिक बाध्यता के तहत छह माह के भीतर इन्हें विधानसभा का चुनाव जीतना होगा। हाजी हुसैन की मौत से लोगों का भावनात्मक समर्थन तो हफीजुल के पक्ष में होगा ही। इलाके के लोगों को अब यह भी लगेगा कि एक मंत्री को चुनाव जितवाकर विधानसभा भेजना है। संताल झामुमो का गढ़ रहा है। हालांकि दुमका संसदीय सीट पर भाजपा का कब्जा है। ऐसे में हेमन्त हर सूरत में इस सीट को हासिल करना चाहेंगे। अल्पसंख्यकों के प्रति झामुमो का रुझान रहा है। हालांकि इनका प्रतिनिधित्व झारखण्ड विधानसभा में आबादी के हिसाब से बहुत कम है। ऐसे में इस सीट को पहले से अप्रत्यक्ष रूप से घोषित कर हेमन्त रास्ता आसान करना चाहते हैं।
वैसे झारखण्ड के इतिहास में यह चौथा मौका है जब बिना विधायक बने मंत्री बनाया गया हो। पहलीबार बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री बने थे, तब वे झारखण्ड विधानसभा के सदस्य नहीं थे। फिर रामगढ़ से उपचुनाव जीते। शिबू सोरेन भी बिना विधायक बने मुख्यमंत्री बने थे। मगर तमाड़ से विधानसभा उप चुनाव हार गये और सीएम की कुर्सी चली गई थी। मधु कोड़ा कैबिनेट में हेमेंद्र प्रताप देहाती भी बिना विधायक बने मधु कोड़ा कैबिनेट में मंत्री बने थे।
हफीजुल को मंत्री बनाने की सारी रणनीति अचानक तय हुई। गुरुवार देर शाम कैबिनेट विस्तार का कार्यक्रम तय हुआ और राजभवन को इसकी सूचना दी गई। उस समय राज्यपाल ओडिशा में थीं। कार्यक्रम देख सुबह रांची वापस लौटीं और शपथ दिलाई।