कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया, जिसमें मांग की गई थी कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारतीय महिलाओं की गरिमा को कथित रूप से ठेस पहुंचाने के लिए माफी मांगें।
जनहित याचिका इस दावे पर आधारित है कि राहुल गांधी ने जनता दल (सेक्युलर) के पूर्व सांसद एवं बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे प्रज्वल रेवन्ना पर ‘‘400 महिलाओं के साथ बलात्कार करने और इस कृत्य का वीडियो बनाने का झूठा’’ आरोप लगाया है।
पीठ ने कहा, "हमने गुण-दोष के आधार पर कुछ नहीं कहा, हम भाषण के गुण-दोष के आधार पर कुछ नहीं कह रहे हैं। हमने केवल इतना कहा है कि यह जनहित याचिका के अंतर्गत विषय नहीं हो सकता है।”
याचिका में आरोप लगाया गया कि 2 मई को शिवमोगा और रायचूर में आयोजित चुनावी रैलियों में भाषण दिए गए, जहां 7 मई को मतदान हुआ। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि हसन एक छोटा शहर है। नफरत भरे भाषण से हर घर प्रभावित होता है और अब हर घर दूसरे घर पर संदेह कर रहा है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता रविशंकर एस एस के वकील ने तर्क दिया कि गांधी ने अपने नफरत भरे भाषण के माध्यम से महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। उन्होंने यह भी कहा कि रेवन्ना पर गांधी की टिप्पणी मनगढ़ंत है।
वकील ने कहा, "वह (राहुल) आदतन हैं। उन्होंने विपक्ष के नेता जैसे महत्वपूर्ण पद पर होने के बावजूद एक बार मोदी उपनाम वाले लोगों को चोर कहा था।" पीआईएल में गांधी के खिलाफ उनके कथित नफरत भरे भाषण के लिए कानूनी कार्रवाई की मांग की गई, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंची और संविधान का अनादर किया गया।