पेटा ने अपने पत्र में लिखा है कि चुनाव आयोग ने साल 2012 में जो दिशा-निर्देश जारी किया था उसका लालू यादव खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं। पेटा के अनुसार जो निर्देश जारी हुआ था उसके मुताबिक सभी राजनीतिक दलों से चुुनाव प्रचार में पशुओं के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी। दरअसल चुनाव के समय-समय में कई उम्मीदवार लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए हाथी, घो़ड़ा, ऊंट, बग्घी आदि का उपयोग करते हैं। चुनाव आयोग का मानना है कि चुनाव प्रचार के दौरान ज्यादा भीड़भाड़ होने से पशु भड़क सकते हैं और लोगों का नुकसान हो सकता है। इसलिए पशुओं का इस्तेमाल करने पर रोक लगाने की बात कही गई थी।
पेटा इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पूर्वा जोशीपुरा ने कहा कि राजनीतिक दल प्रचार में पशुओं का इस्तेमाल नहीं करें। पेटा राजद के टमटम के प्रयोग करने की योजना को रोकेगा। अगर जरूरत पड़ी तो मामले को अदालत में ले जाया जा सकता है। गौरतलब है कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए एक हजार टमटम के प्रयोग करने की घोषणा की है। जातिगत जनगणना को जारी करने की मांग को लेकर लालू यादव पटना की सड़कों पर टमटम पर बैठकर प्रदर्शन कर रहे थे। जिसको लेकर पशुप्रेमियों ने नाराजगी जताई है। लेकिन लालू यादव का कहना है कि टमटम से लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी है अगर चुनाव के दौरान इससे लोगों को आर्थिक रूप से फायदा हो रहा है तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है। लालू का तर्क है कि इससे प्रदूषण को भी रोकने में मदद मिलेगी। वैसे भी बिहार के कई शहरों में आज भी टमटम का प्रचलन है। खासकर ग्रामीण इलाकों में टमटम ही यात्रा का साधन है।