कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने सोमवार को दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (सेक्युलर) (जद-एस) के गठबंधन करने के फैसले के बाद दोनों दलों के कई नेताओं ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उनसे संपर्क किया और कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की इच्छा जताई है।
कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष ने यह भी संकेत दिया कि लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी उम्मीदवारों की सूची को जनवरी से पहले अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है।
शिवकुमार ने कहा, ‘‘भाजपा-जद (एस) गठबंधन के बाद दोनों दलों के कई नेताओं ने अपनी नाखुशी जाहिर की और मुझसे बात की। मुझे मुख्यमंत्री, कैबिनेट के कुछ सहयोगियों और पार्टी नेताओं से चर्चा करनी होगी। मैंने उन्हें (भाजपा-जद (एस) नेताओं से) कहा कि चर्चा के बाद मैं उनसे बात करूंगा।’’
जद (एस) ने शुक्रवार को अपने नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी की गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक के बाद भाजपा के साथ गठबंधन करने का फैसला किया।
भाजपा-जद (एस) विधायकों को पार्टी में शामिल करने के रास्ते में बाधक बन रहे दल-बदल विरोधी कानून के बारे में पूछे जाने पर केपीसीसी (कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी) प्रमुख ने कहा, ‘‘हम तकनीकी समस्याओं से अवगत हैं... मैं अभी उस मुद्दे पर बात नहीं करूंगा।’’
यह संकेत देते हुए कि राज्य सरकार के अधिकतर मंत्रियों को आगामी लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी द्वारा पर्यवेक्षकों के रूप में नियुक्त किया गया है, उन्होंने कहा, ‘‘28 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए एक-एक यानी 28 मंत्रियों को नियुक्त किया गया है। ... वे आठ से दस दिनों में दो या तीन (उम्मीदवारों के) नाम देंगे। हम जल्द से जल्द सूची को अंतिम रूप देंगे।’’
लोकसभा चुनाव के लिए जनवरी से पहले कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची आने की संभावना के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम (जनवरी से) पहले ही सूची जारी कर दें तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। हमने दस दिन में रिपोर्ट देने को कहा है।’’
शिवकुमार ने कांग्रेस आलाकमान के उस पत्र पर टिप्पणी नहीं की जिसमें कर्नाटक के नेताओं को राज्य में अधिक उपमुख्यमंत्री रखने के मुद्दे पर खुलकर चर्चा नहीं करने को कहा गया था।
प्रदेश कांग्रेस के भीतर, विशेष रूप से सहकारिता मंत्री के. एन. राजन्ना 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले कर्नाटक में वीरशैव-लिंगायत, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) और अल्पसंख्यक समुदायों से एक-एक उपमुख्यमंत्री यानी तीन और उपमुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में आवाज उठा रहे हैं।
इस साल मई में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए उनके और सिद्धरमैया के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच कांग्रेस ने फैसला किया था कि शिवकुमार ‘‘एकमात्र’’ उप मुख्यमंत्री होंगे।