अजित पवार द्वारा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से विद्रोह कर शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में शामिल होने के करीब एक महीने बाद भी एनसीपी संरक्षक शरद पवार मतभेदों से इंकार करते दिख रहे हैं। अब वरिष्ठ पवार ने कहा है कि उनके बीच कोई मतभेद नहीं है और भतीजे अजित पवार पार्टी के नेता हैं।
शरद पवार ने पार्टी में फूट से इनकार करते हुए कहा कि फूट तब पड़ती है जब राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का बड़ा हिस्सा अलग हो जाता है। पवार ने शुक्रवार को बारामती में कहा, "इसमें कोई मतभेद नहीं है कि वह (अजित पवार) हमारे नेता हैं, एनसीपी में कोई विभाजन नहीं है। किसी पार्टी में फूट कैसे पड़ती है?"
"ऐसा तब होता है जब राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा समूह पार्टी से अलग हो जाता है। लेकिन आज एनसीपी में ऐसी कोई स्थिति नहीं है। हां, कुछ नेताओं ने अलग रुख अपनाया लेकिन इसे फूट नहीं कहा जा सकता। लोकतंत्र में वे ऐसा कर सकते हैं।"
इससे पहले 20 अगस्त को पुणे में एक कार्यक्रम में एनसीपी सुप्रीमो ने कहा था कि पार्टी के कुछ नेता जो पाला बदल कर अजित पवार गुट के साथ चले गए थे और शिवसेना (एकनाथ शिंदे)-भाजपा सरकार में शामिल हो गए थे, उनकी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच की जा रही है।
शरद पवार ने कहा, "हाल में हमारे कुछ लोगों ने विकास की बात कहकर सरकार से हाथ मिलाया था। उनमें से कुछ ईडी जांच के दायरे में थे...उनमें से कुछ जांच का सामना नहीं करना चाहते थे।"
इस दौरान महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की सराहना करते हुए, शरद पवार ने कहा, "अनिल देशमुख जैसे कुछ लोगों ने जेल जाना स्वीकार किया और 14 महीने वहां बिताए। उन्हें जांच से बचने के लिए उनके पक्ष (भाजपा) में शामिल होने की भी पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है और अपनी विचारधारा नहीं छोड़ने का फैसला किया।"
शरद पवार ने यह भी आरोप लगाया कि राकांपा के कुछ नेताओं ने भाजपा से हाथ मिला लिया क्योंकि उन्हें "एजेंसियों" से खतरा था। उन्होंने कहा, "एजेंसियों की जांच के दबाव में हमारे कुछ साथी बीजेपी में शामिल हो गए। उनसे कहा गया कि यदि आप (भाजपा में) शामिल हो गए तो आपके मामले में कुछ नहीं होगा, लेकिन यदि आप शामिल नहीं हुए तो आपको अलग जगह (जेल) दिखा दी जाएगी।''