पश्चिम बंगाल की मुख्ममंत्री ममता बनर्जी ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने विपक्ष शासित सभी राज्यों से सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास करने की अपील की है। साथ ही ऐलान किया है कि वो 22 जनवरी को सीएए और एनआरसी के खिलाफ दार्जिलिंग एक रैली निकालने जा रही हैं। इस बीच उन्होंने पश्चिम बंगाल की यूनिवर्सिटीज में होने वाली हिंसा को लेकर कहा है कि मैं यहां लिचिंग नहीं होने दूंगी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी देश में विपक्ष शासित सभी राज्यों से सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास करने की अपील करते हुए कहा है कि एनपीआर को लेकर किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ लें। उन्होंने 22 जनवरी को दार्जिलिंग में होने वाली रैली को लेकर लोगों से कहा कि आप नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर चिंता मत करें। मैं आप लोगों के साथ हूं।
एनपीआर खतरनाक खेल
ममता बनर्जी ने एनपीआर की कवायद को ‘‘खतरनाक खेल’’ करार देते हुए कहा कि माता-पिता के जन्मस्थान का विवरण मांगने वाला फॉर्म कुछ और नहीं, बल्कि एनआरसी के क्रियान्वयन का पूर्व संकेत है। पता चला है कि माता-पिता के एनपीआर फॉर्म में जन्मस्थान से जुड़ा कॉलम भरना अनिवार्य नहीं है।
नहीं होने दूंगी लिंचिग
उन्होंने कहा कि यदि यह अनिवार्य नहीं है तो फिर इस कॉलम को फॉर्म में क्यों रखा गया है? पहले कानून को पहले पढ़ना चाहिए फिर इसके बाद ही इसे लागू करने को लेकर किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनपीआर एनआरसी और सीएए से पूरी तरह संबंधित है। राज्यों को इसे वापस करने के लिए प्रस्ताव पास करना चाहिए।
इस बीच ममता बनर्जी ने कहा कि मैंने सुना है कि एक राजनीतिक पार्टी नॉर्थ बंगाल की यूनिवर्सिटी में दिक्कतें पैदा करने की कोशिश कर रही है। मैंने पुलिस को कहा है कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई करे। मैं यहां लिंचिंग नहीं होने दूंगी।