शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की गुरुवार को मुंबई में मुलाकात हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के इन दो कटु आलोचकों की मुलाकात ने सियासी गलियारों में नई चर्चाओं को हवा दे दी है। कुछ लोग इसे 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ एक बड़ा गठबंधन खड़ा करने की कवायद से जोड़ कर देख रहे हैं। मुलाकात के दौरान उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य भी मौजूद थे।
ममता एनडीए का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे न केवल एनडीए के सहयोगी हैं बल्कि मोदी सरकार और महाराष्ट्र सरकार में उनके मंत्री भी हैं। शिवसेना की तरफ से बताया गया है कि ये एक औपचारिक मुलाकात थी, क्योंकि दोनों के संबंध काफी अच्छे रहे हैं। पिछले साल जब उद्धव ठाकरे ने नोटबंदी का विरोध किया था तब ममता बनर्जी ने उद्धव ठाकरे को फोन भी किया था। वहीं, जब नोटबंदी के खिलाफ ममता ने मोर्चा निकाला तो उद्धव ने उसका समर्थन किया था। उस समय उद्धव ने कहा था कि जब प्रधानमंत्री एनसीपी के मुखिया शरद पवार से मिल सकते हैं तो वे ममता बनर्जी से बात क्यों नहीं कर सकते।
ममता मंगलवार से मुंबई में हैं और शुक्रवार को उनके कोलकाता लौटेने की संभावना है। उनके दौरे का मुख्य उद्देश्य जनवरी में कोलकाता में होने वाले बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट से पहले निवेशकों और उद्योगपतियों को आकर्षित करना है।