राजनीति में कुछ भी स्थिर नहीं होता है, सब कुछ बदलता रहता है। पश्चिम की राजनीति में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। विधानसभा चुनाव नतीजों से पहले जो नेता तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का हिस्सा थे और टीएमसी को कठघरे में खड़ा कर रहे थी। यही नेता अब टीएमसी में वापसी को लेकर ममता बनर्जी से गुहार लगा रहे हैं। इन नेताओं में सोनाली गुहा, सरला मुर्मू और अमोल आचार्य जैसे कई नाम हैं। इनके अलावा कई और नेता और कार्यकर्ता हैं जो खुले तौर पर बेशक टीएमसी में जाने की बात ना कर रहे हों, लेकिन अंदर ही अंदर उऩकी भी यही मंशा है। हालाकि टीएमसी इन नेताओं को वापस अपनी पार्टी में जगह देगी या नहीं इस पर फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। सवाल यह है कि क्या ममता बनर्जी इनकी फरियाद सुनेंगी।
असल में अब पश्चिम बंगाल में अगले 5 सालों तक तृणमूल कांग्रेस का ही राज रहने वाला है। दरअसल बंगाल में इस बार जो नेता तृणमूल कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे, उनके लिए करो या मरो की स्थिति थी क्योंकि उन्हें पता था कि अगर बीजेपी हारती है तो ममता बनर्जी कभी भी उन्हें क्षमा नहीं करेंगी। वहीं, बीजेपी के लिए उसके नेताओं का टीएमसी में जाना सही नहीं है, क्योंकि सब जानते हैं कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी का एक बड़ा नेतृत्व तृणमूल कांग्रेस से आए नेताओं द्वारा ही खड़ा किया गया है और आम कार्यकर्ता भी भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर तृणमूल कांग्रेस की ओर फिर से रुख कर सकते हैं। इसका नुकसान बीजेपी को आने वाले लोकसभा चुनाव में हो सकता है।
ममता बनर्जी की सबसे करीबी नेताओं में रही सोनाली गुहा पश्चिम बंगाल के सतगछिया से तृणमूल कांग्रेस की पूर्व विधायक थीं लेकिन जब 2021 के विधानसभा चुनाव में उन्हें टीएमसी की ओर से टिकट नहीं मिला तो उन्होंने बीजेपी ज्वॉइन कर ली। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने भी उन्हें कहीं से उम्मीदवार नहीं बनाया। अब जब बीजेपी की बंगाल में सरकार नहीं बनी तो उन्हें यहां रहने का कोई फायदा नहीं दिख रहा है। सोनाली गुहा फिर से ममता बनर्जी के पास वापस जाना चाहती हैं। ममता बनर्जी को लिखे पत्र में सोनाली गुहा ने कहा ‘दीदी आप मुझे माफ नहीं करेंगी तो मैं जिंदा नहीं रहूंगी। सोनाली ने लिखा कि जिस तरह एक मछली बिना पानी के नहीं रह सकती मैं भी उसी तरह आपके बिना नहीं रह सकती हूं।
सरला मुर्मू जिन्हें तृणमूल कांग्रेस ने 2021 के विधानसभा चुनाव में मालदा के हबीबपुर विधानसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया था, वह अब वापस तृणमूल कांग्रेस में लौटना चाहती हैं। सरला ने टीएमसी का टिकट छोड़ भारतीय जनता पार्टी ज्वॉइन कर ली थी लेकिन अब जब बीजेपी की सरकार बंगाल में नहीं बनी तो सरला मुर्मू का बीजेपी से मोहभंग हो गया है। सरला मुर्मू यह कहकर बीजेपी छोड़कर टीएमसी में जाना चाहती हैं कि उन्होंने बीजेपी में शामिल होकर गलती कर दी, बीजेपी बहुत प्रतिहिंसा करने वाली पार्टी है।
अमोल आचार्य का दो बार से तृणमूल कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं लेकिन जब 2021 विधानसभा चुनाव में उन्हें टीएमसी की ओर से टिकट नहीं मिला तो उन्होंने तृणमूल कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी ज्वॉइन कर ली लेकिन यहां भी उन्हें विधायकी का टिकट नहीं मिला। यही वजह है कि जब बंगाल में बीजेपी की सरकार नहीं बनी तब अमोल आचार्य अब बीजेपी छोड़कर टीएमसी में घर वापसी करना चाहते हैं। उन्होंने ममता बनर्जी को लिखे पत्र में उनसे माफी मांगी और कहा कि मैंने सीबीआई के दबाव में टीएमसी छोड़ी थी लेकिन मैं हमेशा से अपना लीडर ममता बनर्जी को ही मानता आया हूं और आगे भी मानता रहूंगा।
ऐसे में टीएमसी उऩ्हें से पार्टी में वापस लेगी या नहीं, यह अभी सवाल बना हुआ है। टीएससी ऩे अभी इन नेताओँ पर कोई फैसला नहीं लिया है। हालाकि टीएमसी यह भी जानती है कि राजनीति में ना तो स्थाई दोस्ती होती है ना ही स्थाई दुश्मनी, अगर बीजेपी को 2021 की तरह 2024 के लोकसभा चुनाव में भी शिकस्त देनी है तो उनके पास एक बड़ी फौज का होना काफी कारगर साबित होगा या फिर पार्टी टीएमसी छोड़कर जाने वालों को कोई अलग संदेश भी दे सकती है।