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केजरीवाल पर मयंक वार

प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव की आम आदमी पार्टी के राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) से छुट्टी के बावजूद पार्टी का आं‌तरिक संकट खत्म होता नहीं दिख रहा। इस बार महाराष्ट्र से पार्टी के बड़े नेता मयंक गांधी ने सीधे अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है।
केजरीवाल पर मयंक वार

गांधी ने कहा है कि केजरीवाल ने अड़कर दोनों वरिष्ठ नेताओं को पीएसी से निकलवाया जबकि ये दोनों नेता खुद ही पीएसी से बाहर होने को तैयार थे और इसके लिए उन्होंने कुछ विकल्प भी सुझाए थे मगर केजरीवाल खेमा इसके लिए तैयार नहीं हुआ। मयंक गांधी ने अपने ब्‍लॉग पर पार्टी कार्यकर्ताओं के नाम सीधी चिट्ठी लिखकर बुधवार को पार्टी कार्यकारिणी में हुई गतिविधियों का ब्योरा दिया है।

उन्होंने यह भी कहा कि केजरीवाल खेमें ने उन्हें भी चेतावनी दी कि यदि उन्होंने बैठक की गतिविधियों को सार्वजनिक किया तो उनके खिलाफ भी अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी मगर वह पार्टी कार्यकारिणी में कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधि हैं और इसलिए कार्यकर्ताओं को इस मीटिंग की जानकारी देना उनका कर्तव्य है। मयंक गांधी ने यह भी मांग की कि पार्टी इस मीटिंग का पूरा ब्योरा सार्वजनिक करे।

ब्लॉक पर मयंक की लिखी चिट्ठी कुछ इस प्रकार हैः

प्रिय कार्यकर्ताओं,

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जो कुछ हुआ उसे बाहर किसी को न बताने के निर्देशों को तोड़ रहा हूं इसके लिए मैं माफी चाहता हूं। आमतौर पर मैं पार्टी का एक अनुशासित सिपाही हूं।

2011 में जब अरविंद केजरीवाल लोकपाल के लिए बनी ज्वाइंट ड्राफ्ट कमेटी की बैठक से बाहर आते थे तो बताया करते थे कि कपिल सिब्बल उनसे बैठक की बातें बाहर नहीं बताने को कहा करते थे। लेकिन तब अरविंद कहते थे कि ये उनका कर्तव्य है कि वे देश को कार्यवाही के बारे में बताएं क्योंकि वो नेता नहीं बल्कि लोगों के प्रतिनिधि थे। अरविंद ने तब जो कुछ किया वो वास्तव में सत्य और पारदर्शिता थी।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मेरी मौजूदगी कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधि के तौर पर ही है और अगर मैं ये निर्देश मानूंगा तो ईमानदार नहीं रह जाउंगा। कार्यकर्ताओं को छिटपुट और छन-छन के खबरें मिलें इसकी बजाय मैंने फैसला किया है कि मैं मीटिंग का ब्योरा सार्वजनिक करूंगा।

पिछली रात मुझसे कहा गया कि अगर मैंने कुछ भी खुलासा किया तो मेरे खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। अब जो हो, मेरी पहली निष्ठा सत्य के प्रति है। यहां योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की बर्खास्तगी के संबंध में मीटिंग के तथ्य दिए जा रहे हैं। मैं राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निवेदन करूंगा कि मीटिंग के मिनिट्स सामने लाएं।

दिल्ली के चुनाव प्रचार के दौरान प्रशांत भूषण ने कई बार धमकी दी कि वे पार्टी के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे क्योंकि उन्हें उम्मीदवारों के चयन पर कुछ आपत्ति थी। हममें से कुछ किसी तरह इस मुद्दे को चुनाव तक शांत रखने में सफल रहे। आरोप था कि योगेंद्र यादव अरविंद केजरीवाल के खिलाफ साजिश कर रहे हैं और इसके कुछ सबूत भी रखे गए। अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव के बीच मतभेद सुलझने की हद से बाहर चले गए और उनके बीच विश्वास का संकट था। 26 फरवरी की रात जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य उनसे मिलना चाहते थे, अरविंद ने ये संदेश दिया कि अगर ये दो सदस्य पीएसी में रहेंगे तो वो संयोजक के तौर पर कार्य नहीं कर पाएंगे। 4 मार्च को हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की यही पृष्ठभूमि थी।

इस बैठक में योगेंद्र यादव ने कहा कि वो समझ सकते हैं कि अरविंद उन्हें पीएसी में नहीं देखना चाहते, चूंकि अरविंद के लिए उनके साथ काम करना मुश्किल है इसलिए वो और प्रशांत पीएसी से बाहर रहेंगे लेकिन उन्हें बाहर नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे में दो फॉर्मूले उनके द्वारा पेश किए गए।

-पीएसी का पुनर्गठन हो और नए सदस्य चुने जाएं। इसके लिए होने वाले चुनाव में प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव अपनी उम्मीदवारी पेश नहीं करेंगे।

-पीएसी अपने वर्तमान रूप में ही काम करती रहे और योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण मीटिंग में हिस्सा नहीं लेंगे।

इसके बाद मीटिंग कुछ समय के लिए रुक गई और मनीष व अन्य सदस्यों ने दिल्ली टीम के आशीष खेतान, आशुतोष, दिलीप पांडेय और अन्य से मशविरा किया। इसके बाद मनीष ने योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की बर्खास्तगी का प्रस्ताव रखा। संजय सिंह ने इसका समर्थन किया। मैं दो कारणों की वजह से वोटिंग से बाहर रहा।

-अरविंद पीएसी में अच्छे से काम कर सकें इसके लिए मैं इस बात से सहमत हूं कि प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव पीएसी से बाहर रह सकते हैं और कुछ दूसरी महत्वपूर्ण भूमिका ले सकते हैं।

-मैं उन्हें सार्वजनिक रूप से बाहर रखने के प्रस्ताव के विरोध में था खासकर तब जब कि वे खुद अलग होना चाहते थे। इसके अलावा उन्हें हटाने का ये फैसला दुनिया भर के कार्यकर्ताओं की भावनाओं के खिलाफ है।

यानी, मैं उनके पीएसी से बाहर जाने से सहमत था लेकिन जिस तरह से और जिस भावना से ये प्रस्ताव लाया गया वो अस्वीकार्य था। इसलिए मैंने गैरहाजिर रहने का निर्णय लिया। ये कोई विद्रोह नहीं है और न ही पब्लिसिटी का कदम है। मैं प्रेस में नहीं जाऊंगा। मेरे इस कदम के चलते मेरे खिलाफ प्रत्यक्ष या परोक्ष कार्रवाई हो सकती है, तो हो।

जय हिंद

मयंक गांधी

 

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