साधना ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा, कभी नहीं सोचा था कि अखिलेश अलग हो जाएगा वो भी नेताजी के जीते जी। उसने भी पता नहीं कैसे कर डाला लेकिन ऐसा नहीं है कि उसके दिल में पिता के प्रति आदर नहीं है। वह कहीं से गुमराह हुआ है।
मुलायम के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव का पक्ष लेते हुए उन्होंने कहा, शिवपाल का अपमान हुआ है। नहीं होना चाहिए था...उनकी गलती ही नहीं थी।
इस सवाल पर पारिवारिक एवं पार्टी के स्तर पर अलगाव का असर उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर कितना पड़ेगा, साधना ने कहा, चुनाव पर असर पड़ेगा इसका क्योंकि टाइमिंग गलत है।
यह पूछने पर कि चुनावों में सपा को लेकर वह क्या चाहती हैं, उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी वापस सत्ता में आये और अखिलेश फिर से मुख्यमंत्री बने, वह यही चाहती हैं। 11 मार्च को देखिये क्या होता है। जनता क्या फैसला करती है।
जब पूछा गया कि नेताजी :मुलायम: को किन किन मामलों में वह सलाह देती हैं, साधना यादव ने कहा कि राजनीति में भी सलाह दी है, सामाजिक जीवन और परिवार में भी सलाह दी है। परिवार को एक रखा है।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह अब राजनीति में आने का इरादा रखती हैं, साधना ने कहा कि वह राजनीति में नहीं आना चाहतीं लेकिन यह जरूर चाहती हैं कि उनका बेटा प्रतीक यादव राजनीति में आये और राज्यसभा का सदस्य बने।
एक अन्य सवाल पर वह बोलीं, प्रतीक समय की मांग को समझेगा और मुझे यकीन है कि वह राजनीति में जरूर आएगा। परिवार की कलह के लिए उनको जिम्मेदार ठहराये जाने के आरोपों पर साधना ने कहा कि उन्हें यह जानकर बहुत तकलीफ हुई। कितना समय दिया है परिवार को। पूरा पूरा सौ प्रतिशत। सभी के लिए...चाहे प्रोफेसर रामगोपाल के बच्चे हों या धर्मेद्र :यादव: हों....चाहे बहुएं हों या देवरानी और जेठानियां हों, नेताजी के भाई हों, सबको एक परिवार माना और सबके लिए नेताजी से मदद करायी।
जब कहा गया कि वह इन कार्यों का श्रेय क्यों नहीं लेतीं तो बोलीं, कभी नहीं चाहा कि मैं श्रेय लूं क्योंकि नेताजी की वजह से ही सारे काम हम कर पा रहे हैं। इसलिए इन सभी बातों का श्रेय नेताजी को देना चाहते हैं। भाषा