अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने कहा, मुख्यमंत्री और उनके लोग :भाजपा नेता: मुंबई और पुणे पर नजरे गड़ाये हैं जबकि मुख्यमंत्री का खुद का शहर खस्ताहाल बना हुआ है। मुख्यमंत्री मुंबई की तुलना पटना से कर चुके हैं जबकि उन्हें तो दुनिया की आपराधिक राजधानी बनते नागपुर के बारे में पहले जवाब देना चाहिए।
यह संपादकीय निकाय चुनावों की पृष्ठभूमि में सामने आया है। निकाय चुनावों में अभी बेहद कम समय रह गया है और केंद्र एवं राज्य में सत्ता में होने के बावजूद दोनों पार्टियां हमेशा की तरह एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाती रही हैं।
हालिया संपादकीय में कहा गया है कि नागपुर डेंगू की गिरफ्त में था और भाजपा शासित महापालिका प्रशासन इसे फैलने से रोकने में नाकाम रही थी जबकि शिवसेना शासित मुंबई निगम ने इस स्थिति से निपटने के पर्याप्त इंतजाम किये थे।
संपादकीय में दावा किया गया कि नागपुर में अवैध निर्माण फल-फूल रहा है और शहर की समूची सड़कों को खोदा जा रहा है जिसके चलते कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
इसके अनुसार शहर में कोई ऐसी सड़क या फुटपाथ नहीं है जहां गडढे नहीं हों। सड़कों की हालत बदतर करने के लिये ठेकेदारों को सजा भी नहीं दी गयी।
संपादकीय के अनुसार, नागपुर में खराब कानून व्यवस्था का स्कूलों पर भी बुरा असर पड़ा है। मुख्यमंत्री नागपुर से हैं और उनके पास राज्य के गृहविभाग का भी प्रभार है। बावजूद इसके लोग हर दिन अप्रिय घटनाओं का खतरा झेल रहे हैं।
इसके अनुसार, महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। हत्या,डकैती, बलात्कार की घटनाओं में इजाफा हुआ है। महिलाएं शाम ढलने के बाद घर से बाहर निकलने से डरती हैं और नागपुर में चेन झपटमारी की कई घटनाएं रिपोर्ट की जा रही है।
शिवसेना ने चेतावनी देते हुए कहा, मुख्यमंत्री यह सब तो नहीं देख सकते लेकिन मुंबई की तुलना पटना से जरूर कर सकते हैं। मुख्यमंत्री और उनके मंत्री लोगों को गुमराह कर रहे हैं। शहर को शिकागो में तब्दील करने से पहले भाजपा के मगररूपी जबड़े से नागपुर जैसे शहर को बचाना महत्वपूर्ण है। भाषा