उत्तर प्रदेश में निषाद पार्टी के मुखिया डॉ. संजय निषाद ने कहा कि उपचुनाव में हमारी पार्टी ने गठबंधन को हीरो बनाया। आज बसपा सुप्रीमो हजार करोड़ की मालकिन हो गईं और हम को ही जीरो बनाने लगे। उन्होंने कहा कि मायावती के सामने सपा मुखिया अखिलेश यादव ने घुटने टेक दिए हैं। हमारे आरक्षण वाले मुद्दे को लेकर बसपा सुप्रीमो के कारण अखिलेश बोल नहीं पा रहे थे। बसपा सुप्रीमो नाम नहीं लेने दे रही थीं, तो ऐसे गठबंधन में रहने से क्या फायदा? जिसमें हमारा नाम ना लिया जाए।
सपा-बसपा-रालोद गठबंधन से निषाद पार्टी के अलग होने की कई वजहें सामने आई हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह सामने आई है कि प्रदेश में निषाद समाज के आरक्षण के मुद्दे पर गठबंधन की चुप्पी। रालोद की तरह गठबंधन में निषाद पार्टी का नाम नहीं लिया जाना। इसके अलावा आपसी समझौते को धरातल पर लागू नहीं करना। फिलहाल, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में निषाद पार्टी के शामिल होने की घोषणा कल तक होने की संभावना है।
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने बताया कि एक साल हमने भरोसा रखा, तीन महीने गठबंधन के होने के बावजूद एक बार हमारी पार्टी का किसी ने नाम नहीं लिया। हमसे सपा मुखिया ने झूठ बोल दिया। 25 मार्च को हमारी बैठक हुई थी, उसमें उन्होंने कहा कि सब ठीक है, दो सीटों पर हमें कोई दिक्कत नहीं है। प्रेस वार्ता के एक दिन पहले लिखित समझौता हुआ था, 15 बातें लिखकर दी थीं। हमने लिखा था कि दोनों सीटों की घोषणा, दोनों सीटों पर प्रभारी की घोषणा, गठबंधन में जैसे रालोद का नाम आता है, वैसे हमें भी जगह दें।
उन्होंने बताया कि हमने सपा मुखिया को बताया था कि हमारे कार्यकर्ता नाराज हैं। जिन सीटों पर हमें चुनाव लड़ाना है, उन सीटों पर दूसरे निषाद उम्मीदवार दें। हमारे यहां अविश्वास पैदा हो रहा है, कहीं टिकट दूसरे को ना दे दो और किया वही। सपा मुखिया को कहा था कि आपके भरोसे हम हैं, हम महराजगंज जीत जाएंगे। उन्होंने कहा ठीक है, बोल तो दिया उन्होंने, लेकिन ना संगठन खड़ा किया और ना कुछ किया। एक बैठक हुई तो हमारे लोग सबसे ज्यादा आए और सपा-बसपा के गिनती के लोग पहुंचे। कार्यकर्ता इतना उपेक्षित थे कि दसों कार्यकर्ताओं ने लिखकर दे दिया कि इसी तरह गठबंधन चला तो जहर खा लेंगे।
उन्होंने कहा कि हमारा संगठन पांच राज्यों उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में है। यहां हमारा दो से तीन फीसदी वोट है। हमारे सिद्धांत में ईमानदारी है। हमसे बड़ा ईमानदार कौन होगा कि तीन माह में एक बार भी नाम नहीं लिया गया, फिर भी मैं गठबंधन के साथ था। जबकि इसी कारण पीस पार्टी ने काफी पहले ही साथ छोड़ दिया था। उन्होंने कहा कि भाईचारे और उपेक्षित समाज के लिए पार्टी की स्थापना की गई है। हमें किसी चीज का लालच नहीं है, पहचान चाहिए, जिससे उपेक्षित समाज के लोगों का हक दिलाया जा सके। निषाद समाज पूरे देश में एक है और हमारे साथ है।
भाजपा-निषाद पार्टी में सहमति, कल शाम तक हो सकती है घोषणा
अब निषाद पार्टी एनडीए का हिस्सा होने वाली है। इसकी औपचारिक घोषणा कल तक होने की उम्मीद है। निषाद पार्टी और भाजपा के बीच मुद्दों को लेकर लगभग सहमति बन गई है। निषाद पार्टी ने तीन मांगें रखी हैं। पहला, प्रदेश में निषाद समाज का आरक्षण लागू किया जाए। इस बाबत शासनादेश भी जारी है, लेकिन नहीं हो पा रहा था। दूसरा, एक सीट पर निषाद पार्टी अपने सिंबल पर लड़े और तीसरा, पिछले साल हुए उपचुनाव में गोरखपुर सीट पर जैसे सपा ने लड़ाया था, उसी प्रकार भाजपा भी लड़ाए। तीसरे मांग को लेकर यह भी संभावना है कि प्रवीण निषाद भाजपा के सिंबल से चुनाव लड़ें या भाजपा अपना प्रत्याशी उतारे।