नीतीश ने हाल में बसपा से अलग हुए बीएस-4 अध्यक्ष आर. के. चौधरी द्वारा स्थानीय बिजली पासी किले में आयोजित एक जनसभा में कहा कि बिहार में उनकी सरकार ने महादलितों के लिए आरक्षण में आरक्षण की व्यवस्था लागू करके हर दलित को उसका हक दिलाने की कोशिश की है, लेकिन अभी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है। जदयू अध्यक्ष ने कहा, अभी न्यायपालिका समेत अनेक क्षेत्रों में दलित वर्ग के लोग अपने अधिकार से वंचित हैं। अभी बहुत लड़ाई बाकी है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जदयू द्वारा गठबंधन बनाए जाने की अटकलों के बीच, नीतीश ने कहा, हम चाहते हैं कि एक ऐसा संगठन खड़ा हो, जो अपने स्वार्थ के बजाय जनता के स्वार्थ के लिए काम करे। चौधरी जी जब तक सबको न्याय न मिल जाए, तब तक संघर्ष करिये। हम आपके साथ हैं, हम मिलकर आगे बढ़ेंगे। अवसर मिला तो हम मिलकर काम करेंगे।
दलितों के प्रति चिंता को राम मनोहर लोहिया और भीमराव अम्बेडकर की साझा भावना करार देते हुए नीतीश ने कहा कि वह लोहिया के विचारों को मानते हैं। अम्बेडकर और लोहिया के बीच वैचारिक मेल था। दोनों ही समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों तक को अधिकार दिलाने के पक्षधर थे। उन्होंने कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज ने पहली बार अपने राज्य में आरक्षण का प्रावधान किया था। आज संविधान में आरक्षण की जो व्यवस्था है उसकी प्रेरणा इसी मिसाल से मिली थी।