सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी दिल्ली में अधिकारों को लेकर खींचतान जारी है। दिल्ली के सर्विसेज विभाग ने केजरीवाल सरकार के ट्रांसफर-पोस्टिंग वाले आदेश को मानने से इंकार कर दिया है। इसके बाद दिल्ली सरकार ने आक्रामक रूख अख्तियार कर लिया है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ’लोकतंत्र में सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं माना जा रहा है। ऐसे तो देश नहीं चल पाएगा। देश में अफरा तफरी मच जाएगी।’
गुरूवार को प्रेस कांफ्रेस कर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अफसर अदालत का आदेश नहीं मान रहे हैं। ऐसे लोकतंत्र कैसे चलेगा। अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की है। हो सकता है कोर्ट का आदेश भाजपा या अफसरों को अच्छा न लगा हो लेकिन अफसरों को आदेश अच्छा लगे या ना लगे, उन्हें आदेश मानना होगा। उन्होंने कहा कि दो साल पहले हाईकोर्ट ने हमारी पक्ष में फैसला नहीं दिया लेकिन हमने कोर्ट के फैसले का सम्मान किया और सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया।
सिसोदिया ने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत की संवैधानिक पीठ ने एक फैसला दिया है और इसमें सब कुछ साफ कर दिया गया है। उपराज्यपाल के पास केवल जमीन, कानून और पुलिस का अधिकार बताया गया है लेकिन सर्विसेज के मसले के यह कहकह अफसर मानने से मना कर रहे हैं कि केंद्र की अधिसूचना को निरस्त नहीं किया गया है तो क्या अफसर अब अदालत से ऊपर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि अब हमें उपराज्यपाल अनिल बैजल और केंद्र सरकार से सहयोग की जरूरत है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। इसमें साफ कहा गया है कि भूमि, कानून और पुलिस पर उपराज्यपाल और केंद्र सरकार का नियंत्रण होगा और बाकी के विषयों पर एक्जीक्यूटिव शक्तियां दिल्ली सरकार की रहेंगी। कोर्ट के आदेश को इसी भावना के साथ लागू किया जाना चाहिए।