समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राज्य पुलिस में क्लर्कों की भर्ती आउटसोर्सिंग के जरिए करने के मामले में यूपी सरकार के पत्र पर कटाक्ष करते हुए गुरुवार को कहा कि भाजपा किसी दिन सरकार को आउटसोर्स कर सकती है। बाद में राज्य पुलिस ने कहा कि पत्र "गलत तरीके से" जारी किया गया था और इसे रद्द कर दिया गया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर हिंदी में टिप्पणी करते हुए सपा अध्यक्ष ने कहा, "एक के बाद एक कार्यवाहक डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) की तैनाती के बाद अब कुछ पुलिस सेवाओं को आउटसोर्स करने पर विचार किया जा रहा है। अगर पुलिस संविदा पर होगी तो न तो उसकी कोई जवाबदेही होगी और न ही गोपनीय और संवेदनशील सूचनाएं बाहर जाने से रोकी जा सकेंगी।"
उन्होंने कहा, "भाजपा सरकार को जवाब देना चाहिए कि जब पुलिस का अपना भर्ती बोर्ड है तो फिर सरकार सीधी स्थायी नियुक्ति से क्यों भाग रही है?" 11 जून को राज्य के सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को जारी और पुलिस उप महानिरीक्षक (स्थापना) प्रभाकर चौधरी के हस्ताक्षर वाले पत्र में उल्लेख किया गया है कि विभाग के काम में लगातार हो रही वृद्धि को देखते हुए संवर्ग में स्वीकृत पदों के अतिरिक्त सहायक उपनिरीक्षक (लिपिक), सहायक उपनिरीक्षक (लेखा) और उपनिरीक्षक (गोपनीय) के पदों पर आउटसोर्सिंग के माध्यम से सेवाएं लेने का प्रस्ताव है।
बुधवार से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर घूम रहे इस पत्र में इस संबंध में अधिकारियों की राय मांगी गई है। हालांकि, राज्य पुलिस ने अपने आधिकारिक हैंडल एक्स के जरिए बताया कि यह पत्र "गलती से" जारी किया गया था और अब इसे रद्द कर दिया गया है। राज्य पुलिस ने कहा, "चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग की व्यवस्था पहले से ही चलन में है। गलती से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की जगह मंत्रालयिक कर्मचारियों के लिए पत्र जारी हो गया था। इसे रद्द कर दिया गया है।"
यादव ने अपने पोस्ट में आगे कहा कि पुलिस भर्ती परीक्षा के पेपर लीक से नाराज युवा, "पुलिस सेवा की आउटसोर्सिंग" की खबर से और भी नाराज हो गए हैं। उन्होंने कहा, "आउटसोर्सिंग के इस विचार को तुरंत त्याग दिया जाना चाहिए और यूपी के युवाओं को नियमित, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से सीधी भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से नौकरियां दी जानी चाहिए। हो सकता है कि भाजपा किसी दिन 'सरकार' को ही आउटसोर्स कर दे।"