इनेलो पार्टी में लगातार मच रहे घमासान के बाद दुष्यंत चौटाला एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर कहा कि मेरे निष्कासन पत्र के प्रेस नोट पर ओपी चौटाला के अभी तक साइन नहीं हैं। उन्होंने 2005 से लेकर आज तक जितने भी रैली जलसे हुए है। उसमें हर ड्यूटी हमने निभाई है। ये पहली रैली थी जिसमें ना तो मेरी कोई ड्यूटी लगी और ना ही दिग्विजय की आज चुनरी चौपाल चल रही है। उसके लिए कहा जाता है कि ये पार्टी गतिविधि नहीं है।
उन्होंने कहा कि बंद कमरे में रिपोर्ट बनाकर चौटाला साहब के साइन करवाए गए। ये उन्होंने खुद नहीं किया। साथ ही दुष्यंत ने कहा कि जिन मुद्दों को हमने लोकसभा में उठाया, उन्हें कभी विधानसभा में नहीं उठाया गया। विधानसभा के पटल पर हमेशा बीजेपी की भाषा बोली जाती है। साथ ही कहा कि गोहाना रैली में युवाओं के जज्बात थे और जिन लोगों को जज्बात नहीं भाते उन्हें लोग हुड़दंग कहते हैं।
कुछ पंक्तियों में अपनी बात रखते हुए दुष्यंत ने कहा कि..
वक्त का रुख बदलना आता है,
हमें काटें पर चलता आता है,
अभिमन्यु समझकर कुछ लोगों ने रच दिया चक्रव्यूह,
हमें चक्रव्यूह तोड़ना भी आता है।
पार्टी से निकालने की बात को लेकर उन्होंने कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी या कोई पत्र नहीं मिला। मेरे निष्कासन पत्र के प्रेस नोट पर ओपी चौटाला के अभी तक साइन नहीं हैं। इस बारे में मुझे मीडिया के माध्यम से ही पता चला। उसके बाद संघठन की किसी बैठक के लिए मुझे पार्टी ऑफिस की ओर से निमंत्रण नहीं मिला। पार्टी के किसी बड़े फैसले में कुछ लोगों ने हमें शामिल नहीं किया। उन्होंने कहा कि राव इंद्रजीत के परिवार से मेरा लगाव 2009 से हैं। पारिवारिक रिलेशनशिप 1966 से है। इसलिए किसी त्यौहार पर मुलाकात को राजनीतिक रुप देना ठीक नहीं है।
जिसके बाद शायराना अंदाज में उन्होंने कहा कि..
उसूलों पर जो बात आए तो टकराना जरूरी है,
जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि प्रकाश सिंह बादल हमारे परिवार के सबसे बड़े सदस्य है। जब तक राष्ट्रीय अध्यक्ष का साइन किया हुआ पत्र मुझे नहीं मिलता मैं खुद को इनेलो पार्टी से निष्कासित नहीं मानता। मै तब तक इनेलो में ही हूं। मुझे निलंबित करने के लिए इनेलो के संविधान को फॉलो नहीं किया गया। इसलिए मुझे प्रदेश कार्यकारिणी निलंबित नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि निष्कासन हमारे परिवार ने बहुत झेले हैं। निष्कासित करने से मुझे रोका नहीं जा सकता। जैसे देवी लाल और ओपी चौटाला नहीं रूके वैसे ही मैं भी नहीं रूकुंगा। कयोकि मैं उन्हीं का खून हूं। साथ ही इस बारे में अंतिम फैसला 17 नवंबर को होगा।