पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आईएएमआईएम भी उतर रही है। तीन चरण के चुनाव के बाद पार्टी ने अपने सात उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। ये उम्मीदवार 10 अप्रैल को होने वाले चौथे चरण के चुनाव में अपनी किस्मत आजमाएंगे। ओवैसी के चुनाव लड़ने के फैसले पर कहा जा रहा है कि आईएएमआईएम, टीएमसी की वोट में सेंध लगा सकती है। दरअसल बंगाल में मुस्लिम वोटर्स की संख्या लगभग 30 फीसदी है और ऐसे में इनकी भूमिका अहम हो जाती है। बिहार में पांच सीटों पर एआईएमआईएम ने जीत दर्ज की थी।
जिन उम्मीदवार बनाया गया है उसमें ईथर सीट- मोफाककर इस्लाम,,जलंगी सीट- अलसोकत जामन,,सागरदिघी सीट- नूरे महबूब आलम, भरतपुर सीट- सज्जाद होसैन,,मालतीपुर सीट- मौलाना मोतिउर रहमान,,रतुआ सीट- सईदुर रहमान,,आसनसोल उत्तर सीट- डेनिश अजीज शामिल हैं।
बीते कुछ महीनों में ओवैसी ने कई बार बंगाल का दौरा किया है। देश की अनेक सेक्युलर पार्टियों और मुसलमानों के अलग-अलग समूहों की तरफ से ये आरोप लगाए जाते रहे हैं कि ओवैसी बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए चुनाव मैदान में जाते हैं। ओवैसी पर आरोप लग रहा है कि उनके चुनावी मैदान में होने से वोटों को ध्रुवीकरण बढ़ता है और जिसके नतीजे में बीजेपी को फायदा होता है। सीटों का सियासी गणित
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकार है। ममता बनर्जी राज्य की मुख्यमंत्री हैं। यहां बहुमत के लिए 148 सीटें चाहिए। 2016 विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने सबसे ज्यादा 211 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। वहीं कांग्रेस ने 44, लेफ्ट ने 26 और बीजेपी ने मात्र तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि अन्य ने दस सीटों पर जीत हासिल की थी।