एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की चिट्ठी से उपजे विवाद को सरकार को अस्थिर करने की साजिश बताया है लेकिन सरकार के स्थायित्व पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। शरद पवार ने रविवार को कहा कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख परम बीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर हैं और गहन जांच की आवश्यकता है।
दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए पवार ने सुझाव दिया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस मामले में फैसला लेंगे और देशमुख के खिलाफ भी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि परमबीर सिंह ने दावा किया है कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख चाहते थे कि पुलिस अधिकारी बार और होटलों से मासिक 100 करोड़ रुपये एकत्र करें।
एनसीपी प्रमुख ने वाजे की बहाली पर कहा कि एएपीआई सचिन वाजे की बहाली मुख्यमंत्री ने नहीं की बल्कि पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने की थी। इसके लिए न तो मुख्यमंत्री और न ही राज्य के गृह मंत्री जिम्मेदार थे। अब चूंकि उन्हें मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से हटा दिया गया तो वह ये आरोप लगा रहे हैं। शरद पवार ने पूछा कि ट्रांसफर से पहले उन्होंने ये आरोप क्यों नहीं लगाए।
शरद पवार ने कहा, 'मैं उद्धव ठाकरे को परमबीर सिंह के दावों की जांच कराने में मदद के लिए पूर्व आईपीएस अधिकारी जूलियो रिबेरो की मदद लेने का सुझाव दूंगा। पवार ने कहा कि परमबीर सिंह ने गृह मंत्री अनिल देशमुख पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन पर जो आरोप लगे हैं उसके प्रमाण नहीं दिए गए हैं।
बता दें कि ट्रांसर्फर किए पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे गए आठ पन्नों के पत्र में, आरोप लगाया कि देशमुख पुलिस अधिकारियों को अपने आधिकारिक आवास पर बुलाते थे और उन्हें बार, रेस्तरां और अन्य प्रतिष्ठानों से वसूली का टारगेट देते थे।